वरदान बना वनोपज : अप्रैल माह में ही घर-घर जाकर 55 करोड़ के लघु वनोपज की खरीदी, मिला प्रथम स्थान

वरदान बना वनोपज : अप्रैल माह में ही घर-घर जाकर 55 करोड़ के लघु वनोपज की खरीदी, मिला प्रथम स्थान
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लॉकडाउन के चलते गांव से लेकर शहरों तक गरीब लोगों के पास कोई रोजगार का साधन नहीं था. जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीण जिसमें अधिकांश आदिवासी हैं. इनके लिए लघु वन उपज का संग्रहण ऐसे कठिन समय में उनके जीवन में राहत की मुस्कान देने में सफल रहा. महिला स्व सहायता समूहों, वन विभाग एवं लघु वनोपज संघ के अधिकारी कर्मचारियों ने इस महामारी की परवाह किए बिना कोरोनावायरस गाइडलाइन का संपूर्ण पालन करते हुए 1 माह में लगभग 55 करोड़ का अन्य लघु वनोपज की खरीदी घर-घर जाकर किया.

रायपुर. लॉकडाउन के चलते गांव से लेकर शहरों तक गरीब लोगों के पास कोई रोजगार का साधन नहीं था. जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीण जिसमें अधिकांश आदिवासी हैं. इनके लिए लघु वन उपज का संग्रहण ऐसे कठिन समय में उनके जीवन में राहत की मुस्कान देने में सफल रहा. महिला स्व सहायता समूहों, वन विभाग एवं लघु वनोपज संघ के अधिकारी कर्मचारियों ने इस महामारी की परवाह किए बिना कोरोनावायरस गाइडलाइन का संपूर्ण पालन करते हुए 1 माह में लगभग 55 करोड़ का अन्य लघु वनोपज की खरीदी घर-घर जाकर किया.

साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 15 करोड़ की राशि बोरा भर्ती, प्राथमिक प्रसंस्करण, परिवहन एवं गोदामीकरण में खर्च कर लगभग 70 करोड़ की राशि 1 माह में 100000 गरीब परिवारों को वितरित की गई. इससे औसतन अप्रैल माह में प्रत्येक परिवार को 7000 की राशि प्राप्त हुई. जो कि ऐसे कठिन समय में उनके जीवन यापन के लिए संजीवनी साबित हुई है. इमली, हर्रा, बहेड़ा, चिरौंजी, महुआ, गिलोय शहद आदि का संग्रहण इस दौरान किया गया. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ राज्य में एक सौ साठ करोड़ की राशि का अन्य लघु वनोपज खरीदी किया गया. साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से 25 करोड़ की राशि अन्य कार्य जैसे बोरा भर्ती, परिवहन एवं गोदामीकरण में किया गया.

इस प्रकार लघु इस प्रकार लघु वन उपज संग्रहण कार्य में 185 करोड़ व्यय किया गया. वित्तीय वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा पूरे देश का 70% अन्य लघु वनोपज न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत क्रय कर प्रथम स्थान प्राप्त किया. विभिन्न लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 15 से 30% तक बढ़ाया गया. तेंदूपत्ता व्यापार के लिए लगभग 400 करोड़ की राशि वितरित की गई. साथ ही 230 करोड़ की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में अतिरिक्त वितरित की गई. इस प्रकार लघु वनोपज से लगभग 12 लाख परिवारों को 820 करोड़ की राशि वितरित की गई.

राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने से लघु वनोपज संघ द्वारा ग्राहकों के हित में क्रय प्रक्रिया सुदृढ़ करने के कारण व्यापारियों को भी उच्च दाम में वनोपज खरीदना पड़ा. जिससे लगभग 300 करोड रुपए ग्राहकों को अतिरिक्त भुगतान प्राप्त हुआ. अनुसूचित क्षेत्रों में राज्य शासन ने कोदो, कुटकी एवं रागी को राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से समर्थन मूल्य में खरीदने का निर्णय लिया है. कोदो कुटकी एवं रागी सामान्यता वनों के आसपास निवासरत ग्रामीणों के द्वारा उगाया जाता है.

समर्थन मूल्य नहीं होने कारण इन उपज का सही दाम वनांचल के किसानों को नहीं प्राप्त हो रहा था. क्योंकि अधिकांश किसान जो कोदो कुटकी एवं रागी का उत्पादन करते हैं, मुख्यता वनोपज का भी संग्रहण करते हैं. इसलिए इन उपज की खरीदी एवं मूल्य संवर्धन कार्य राज्य लघु वनोपज संघ को सौंपा गया. राज्य शासन द्वारा लाख की खेती को कृषि उपज का दर्जा देने का भी निर्णय लिया गया है. इसके लगभग 50000 किसान जिनके पास कुसुम, पलाश एवं बेर के पेड़ हैं. लाख की खेती करने के लिए ब्याज रहित ऋण प्राप्त कर सकेंगे. इस निर्णय से राज्य में लाख का उत्पादन 4000 टन से बढ़कर 10000 टन होने की संभावना है. इससे किसान परिवारों की आय में लगभग 150 करोड़ की वृद्धि होगी.

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