एनिमल गोद लेने वाले दानदाता को आयकर में मिल सकती है छूट

एनिमल गोद लेने वाले दानदाता को आयकर में मिल सकती है छूट
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रायपुर जंगल सफारी में एनिमल गोद लेने के मामले की फाइल तीन साल से ठंडे बस्ते में है। एनिमल गोद लेने की फाइल को एक बार पुन: खंगाला गया है। साथ ही सफारी के भरोसे पल रहे एनिमल को पालक दिलाने सफारी प्रबंधन ने एक बार पुन: शासन को पत्र लिखा है। एनिमल गोद लेने की फाइल शासन के पास विचाराधीन हैं।

रायपुर जंगल सफारी में एनिमल गोद लेने के मामले की फाइल तीन साल से ठंडे बस्ते में है। एनिमल गोद लेने की फाइल को एक बार पुन: खंगाला गया है। साथ ही सफारी के भरोसे पल रहे एनिमल को पालक दिलाने सफारी प्रबंधन ने एक बार पुन: शासन को पत्र लिखा है। एनिमल गोद लेने की फाइल शासन के पास विचाराधीन हैं।

उल्लेखनीय है की जंगल सफारी प्रबंधन ने वहां रह रहे वन्यजीवों की उचित देखभाल करने एनिमल गोद लेने योजना बनाई थी। योजना बनाने के बाद फाइल स्वीकृति के लिए शासन को पत्र लिखा गया था। तब से यह फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी है। सफारी प्रबंधन ने एक बार पुन: शासन को एनिमल गोद देने की योजना बनाई है। योजना के तहत बड़े कार्पोरेट, संपन्न वर्ग तथा वन्यजीव प्रेमी वहां के वन्यजीवों को गोद ले सकते हैं।

आर्थिक भार कम होगा

जंगल सफारी में रहने वाले वन्यजीवों के भोजन का खर्च शासन वहन करता है। वहां रह रहे वन्यजीवों की और बेहतर तरीके से देखभाल हो सके, इसके लिए वन्यजीवों को गोद लेने की योजना बनाई गई है। वन्यजीवों के गोद लेने वाला वहां वन्यजीवों के खर्च के लिए एक निश्चित राशि सफारी प्रबंधन को देगा। दी गई राशि को वहां रह रहे वन्यजीवों की देखरेख पर खर्च की जाएगी। उन पैसों से वन्यजीवों की खाने की व्यवस्था करने के साथ वन्यजीव के अस्वस्थ होने पर दी गई राशि दवा पर खर्च की जाएगी।

आयकर में मिलेगी छूट

सफारी में वन्यजीवों को गोद लेने वाले जितनी राशि खर्च करेंगे, उन्हें आईटी रिटर्न में छूट मिलेगी। एनिमल गोद लेने वाले लोगों की जानकारी सफारी प्रबंधन आयकर विभाग को देगा। साथ ही एनिमल गोद लेने वाला जितनी राशि सफारी प्रबंधन को देगा, इसकी जानकारी आईटी को दी जाएगी। शेड्यूल-1 प्रजाति से लेकर सभी प्रजाति के वन्यजीवों को गोद लेने एक निश्चित राशि निर्धारित की जाएगी।

अतिरिक्त खर्च से मिलेगी मुक्ति

वन्यजीवों की गोद लेने की परंपरा पुन: शुरू होने के बाद वन्यजीवों के लिए होने वाले अतिरिक्त खर्च से सफारी प्रबंधन को राहत मिलेगी। इसके लिए वन्यजीवों को गोद लेने वाले की राशि को इमानदारी से खर्च करना होगा। मांसाहारी वन्यजीवों की अपेक्षा शाकाहारी वन्यजीवों के लिए मौसम के अनुसार डाइट प्लान तैयार करना पड़ता है। वन्यजीवों के गोद लेने पर मिलने वाली राशि तथा शासनस्तर पर मिलने वाली राशि से मांसाहारी के साथ शाकाहारी वन्यजीवों के आहार में सुधार आएगा।

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