खरीफ फसल के लिए जिले के गोठानों में तैयार वर्मी खाद के उठाव पर लगा ब्रेक, क्वालिटी में आई कमी

खरीफ फसल के लिए जिले के गोठानों में तैयार वर्मी खाद के उठाव पर लगा ब्रेक, क्वालिटी में आई कमी
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रायपुर जिले के गोठानों में खरीफ फसल के लिए वर्मी खाद के उठाव पर ब्रेक लग गया हैं। इसका कारण ये है कि कहीं सोसाइटी में वर्मी खाद का स्टॉक फुल होने से एक्स्ट्रा खाद रखने जगह की कमी है तो कहीं गोठानों में खाद की क्वालिटी सही नहीं होने के कारण उसका उठाव नहीं किया जा रहा है।

खरीफ फसल के लिए जिले के गोठानों में तैयार वर्मी खाद के उठाव पर ब्रेक लग गया हैं। इसका कारण ये है कि कहीं सोसाइटी में वर्मी खाद का स्टॉक फुल होने से एक्स्ट्रा खाद रखने जगह की कमी है तो कहीं गोठानों में खाद की क्वालिटी सही नहीं होने के कारण उसका उठाव नहीं किया जा रहा है। जिला पंचायत के कुछ सदस्यों ने भी ये आरोप लगाए हैं कि कई गोठानों में तैयार किए गए वर्मी खाद की क्वालिटी बहुत खराब है। वहीं वर्मी खाद बनाने में केंचुए और गोबर का भी बहुत कम इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका कहना है कि वर्मी खाद में कंकड़ और मिट्टी की मिलावट ज्यादा देखी जा रही है। इस कारण गोठानों से वर्मी खाद के उठाव में कमी आई है। वहीं किसान भी क्वालिटी देखकर सोसाइटियों से वर्मी खाद लेना नहीं चाहते, लेकिन अनिवार्य किए जाने के कारण मजबूरी में किसानों को वर्मी खाद लेनी पड़ रही है।

आगामी खरीफ फसल के लिए सरकारी सोसाइटियों द्वारा गोठानों में तैयार की गई वर्मी खाद का उठाव किया जा रहा है। इन सोसाइटियों के माध्यम से किसानों को बीज, रासायनिक खाद के साथ वर्मी खाद उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य सरकार ने सोसाइटियों से रासायनिक खाद के साथ किसानों को वर्मी खाद लेना भी अनिवार्य किया है।

तिल्दा, अभनपुर, आरंग क्षेत्र के कई गोठानों से उठाव होना बाकी

सूत्रों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा कुछ शहरी क्षेत्रों के कई गोठानों से अब तक वर्मी खाद का उठाव नहीं हो पाया है। जिला पंचायत रायपुर के सभापति व सदस्य राजू शर्मा ने बताया कि तिल्दा के कई गोठानों में वर्मी खाद तो तैयार की गई है, लेकिन उसकी गुणवत्ता सही नहीं है। खाद बनाने में केचुए व गोबर का सही इस्तेमाल नहीं किया गया है। कुछ गोठानों में तो खाद में कंकड़ और मिट्टी का मिश्रण ज्यादा है। इसके कारण किसान भी इसे लेना नहीं चाहते। अभनपुर जिला पंचायत सदस्य खेमराज कोसले ने बताया कि उनके क्षेत्र में भी कई गोठानों से वर्मी खाद का उठाव नहीं हो पाया है। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि वर्मी खाद लेने के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा है।

अब तक एक लाख क्विंटल का उठाव

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल से अब तक जिलेभर के गोठानों से सोसाइटियों द्वारा लगभग एक लाख क्विंटल वर्मी खाद का उठाव किया जा चुका है। वहीं उठाव की अभी भी जारी है।

10 रुपए किलो की दर से बिक रही खाद

वर्मी खाद किसानों को प्रति किलो दस रुपए की दर से बेची जा रही है। प्रति एकड़ के पीछे किसान को कम से कम 90 किलो वर्मी खाद खरीदनी पड़ रही है, जिसके एवज में उसे 9 सौ रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है।

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