Raipur : बर्खास्त हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिद अली, ये बताई जा रही वजह

Raipur :  बर्खास्त हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिद अली, ये बताई जा रही वजह
X
Raipur : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय (Journalism University) के एसोसिएट प्रोफेसर शाहिद अली (Professor Shahid Ali) को नौकरी से निकाल दिया गया। गुरुवार को उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया है। पढ़िए पूरी खबर...

Raipur : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि द्वारा प्रोफेसर शाहिद अली (Professor Shahid Ali) को बर्खास्त कर दिया गया है। पत्रकारिता विश्वविद्यालय (Journalism University) ने आदेश जारी करते हुए प्रोफेसर अली की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की बात कही है। उन पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी प्राप्त करने का आरोप है। इस संदर्भ में विवि परिषद द्वारा जांच समिति भी बैठाई गई थी। समिति के रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया है। वहीं पूरे प्रकरण पर शाहिद अली का कहना है कि उनके विरूद्ध षड्यंत्र किया गया है। और बताया कि मेरी नियुक्ति पत्रकारिता विवि में प्राध्यापक के पद पर वर्ष 2005 में हुई थी। पिछले कई वर्षों से उनकी नियुक्ति पर विवाद जारी है। पिछले कई माह से जांच समिति द्वारा मामले की पड़ताल की जा रही थी।

विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ लोक आयोग (Chhattisgarh Public Commission) की अनुशंसा तथा छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों पर सूक्ष्म जांच समिति गठित की गई थी। इस समिति की रिपोर्ट तथा 15 जून को हुई विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की 58वीं आपात बैठक में लिए गए फैसले के आधार पर विधिवत कार्रवाई करते हुए 13 जुलाई से शाहिद अली की सेवा समाप्त कर दी गई है। प्रोफेसर शाहिद अली जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) के पद पर कार्यरत थे। इसके पूर्व पिछले माह हुई बैठक में कार्यपरिषद द्वारा प्रोफेसर अली की नियुक्ति को गलत पाते हुए कार्रवाई करने निर्देश दिए गए थे। कार्यपरिषद की बैठक में हुए फैसले के लगभग एक माह पश्चात विवि प्रबंधन द्वारा यह एक्शन लिया गया है।

Also Read : इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय: प्रवेश के लिए अभिरुचि परीक्षा की हुई शुरुआत, पहली सूची 15 जुलाई को वेबसाइट पर होगी अपलोड

वहीं प्रोफेसर शाहिद अली (Professor Shahid Ali) ने कहा कि मामले की कोई भी विभागीय जांच नहीं हुई है। उन्हें किसी भी तरह का आरोप पत्र नहीं दिया गया है। बगैर उनकी बात सुने एकपक्षीय कार्रवाई की गई है। उनसे प्रमाण पत्र मांगे बगैर ही समिति ने एकतरफा जांच रिपोर्ट पेश कर दी है। उनका कहना है कि, 2005 में जब उनकी नियुक्ति हुई तो वर्तमान जांच समिति के सदस्य प्रोफेसर राममोहन पाठक (Rammohan Pathak) के पुत्र ने भी आवेदन भरा था। उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी, इसलिए अब सही तरीके से जांच ना करके उन्हें फर्जी आधारों पर हटाया जा रहा है।

Tags

Next Story