हरिभूमि-आईएनएच के कार्यक्रम "किसानों की बात उद्यमियों के साथ" में.. राकेश टिकैत हुए शामिल

रायपुर: देश में पहली बार किसान, उद्योगपति और बुद्धिजीवी एक साथ जुटे और देश की अर्थव्यवस्था में न्यूनतम समर्थन मूल्य की जरुरत पर गंभीर मंथन हुआ। इस मौके पर अपने उद्बोधन में बोलते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सलाह दी कि आप हर माह डीसी के माध्यम से बैठक बुलवाएं। हर तीसरे बुधवार को डीसी की बैठक करे, जिसमें सारे अधिकारी आएं, बात करें और डाटा आ जाएगी। इसी तरह छत्तीसगढ़ में विलेज टूरिज्म का विकास करने की बात भी उन्होंने कही। छत्तीसगढ़ में साग सब्जी की पैदावार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे संबंधित फूड प्रोसेसिंग यूनिट यहां लगाई जा सकती है। इस पर काम किया जाना चाहिए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ये देश दो चीजों से बना हुआ है। वह है कृषि और ऋषि पद्धति। इसी पद्दति से देश चलता है। इसमें ही सभी धर्म शामिल होते हैं। अगर इस पद्धति से छेड़खानी होगी तो देश डिस्टर्ब होगा। अगर देश के 50 करोड़ लोगों को कृषि क्षेत्र से हटाया जाएगा तो उन्हें रोजगार कहां से देंगे। देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था ठीक होनी चाहिए। लोगों को स्कूल, मेडिकल-सड़क मिलना चाहिए। किसान नेता टिकैत ने कहा है कि ये गलतफहमी है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का पैसा सरकार को देना पड़ेगा। तीन कृषि कानूनों की वापसी के सिलसिले में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह भी निर्णय लिया हो, पर हमारा काम हमने कर दिया। किसानों के मामलों में देश की सरकारों में कांपिटिशन होना चाहिए। तभी किसान बचेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि किसान आंदोलन से हमें एक बड़ा परिवार मिला। अगर आंदोलन नहीं होता तो हमें इतना बड़ा किसान परिवार मिलता ही नहीं। किसान आंदोलन की यह सबसे बड़ी कामयाबी है।
हम निजीकरण के विरोध में हैं
श्री टिकैत ने कहा कि हम निजीकरण(प्राईवेटाइजेशन) का विरोध करते हैं। अगर प्राईवेटाइजेशन होगा, उतनी ही बेरोजगारी बढ़ेगी। उन्होंने ब्राजील का उदाहरण दिया और बताया कि वहां रहने वाले 280 लोगों के पास पूरे देश की 80 प्रतिशत संपत्ति है। ऐसा मॉडल भारत में नहीं चलेगा। उन्होंने कहा सोना साल में 17 बार उपयोग में आता है लेकिन भोजन साल में सात सौ बार करना होता है। किसान नेता ने फूड चेन कंपनियों के काम करने के तरीकों के बारे में बताया और कहा कि निजीकरण के कारण फूडचैन वाले आ जाएंगे तो देश का अनाज गोदामों में जमा हो जाएगा।
देश की हालत ठीक नहीं,संगठित होना पड़ेगा
किसान नेता ने देश की स्थिति के बारे में कहा कि हालात ठीक नहीं है। हमे संगठित होना पड़ेगा। कुछ साल पहले जब भूमि अधिग्रहण बिल लाया गया था, तब भी सारे दल बैठकर इस पर चर्चा किया करते थे। आज बड़ी खुशी हो रही है कि इस तरह के मंच पर सत्ता विपक्ष सब बैठे हैं और बातचीत हो रही है।
समझाया एमएसपी का गणित
राकेश टिकैत ने कार्यक्रम के दौरान एमएसपी से जुड़ा गणित समझाया। उन्होंने कहा कि एमएसपी के लिए सरकार को एक पैसा नहीं देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में कुल 12लाख करोड़ की फसल होती। इसमें से 4 लाख करोड़ की फसल का उपयोग देश के लिए हो जाता है। बची 8 लाख करोड़ की फसल में से 4 लाख करोड़ की फसलें सरकार खरीद लेती है। अब बची केवल 4 लाख करोड़ की फसल। इसे अगर सरकार खरीद ले तो यह राशि किसानों के खाते में जाएगी।
एमएसपी कानून से होगा ये फायदा
किसान नेता ने कहा कि अगर एमएसपी पर कानून बन जाए तो तीन लाख करोड़ रुपया किसानों के पास आएगा। वहीं पैसा फिर बाजार में आएगा। एमएसपी पर सरकार को पैसा देना पड़ेगा ये बात गलतफहमी है। किसान आंदोलन वापस लिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि किसी ने कहा पीएम ने बड़ा दिल दिखाया। किसी ने कहा चुनाव देखकर ये किया, किसी ने कहा डर के कारण वापस लिया। पीएम ने ये सब कैसे किया पता नहीं,लेकिन हमारा काम कर दिया।
देश में बने एग्रीकल्चर पॉलिसी
किसान नेता ने कहा कि देश में एक नेशनल एग्रीकल्चर पॉलिसी बनाने की जरुरत है। यह इसलिए कि एग्रीकल्चर पर कोई भी फैसला हो तो सारे लोग मिल बैठकर लें। उन्होंने उदाहरण दिया कि 2007 में जब गेंहू का संकट आया तो प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने बड़े टिकैत(महेंद्र सिंह टिकैत) को बुलाकर बात की। उन्होंने बताया कि बाहर से गेंहू लेने में क्या परेशानी आएगी। बड़े टिकैत से चर्चा के दौरान कहा कि देश के किसान ही गेंहू उगाएंगें। बाद देश में पहली बार गेंहू का रेट 400 रुपए क्विंटल बढ़ा। तब से अब तक 14 साल हो गए,देश में एक किलो गेंहू की कमी कभी नहीं आई।
देश के पहले मुख्यमंत्री
राकेश टिकैत ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि यहां के सीएम ने बड़ी हिम्मत दिखाई है। सीएम ने एमएसपी पर किसानों के साथ बैठने का काम किया है। कई राज्य ऐसे हैं, जो ठीक काम कर रहे हैं। उनके बीच कांपिटिशन भी है। सरकार के सहयोग के बिना गांव, गरीब और किसान बच ही नहीं सकता है। श्री टिकैत ने ये भी कहा है कि एमएसपी के मुद्दे पर किसानों के साथ मंच साझा करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं।
गांधीवाद को समझे टिकैत के आंदोलन से-डॉ.द्विवेदी
कार्यक्रम के उद्देश्यों को लेकर हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक हिमांशु द्विवेदी ने कहा, बालगंगाधर तिलक ने कहा था किसान राष्ट्र की आत्मा है। उस पर निराशा की छाया को हटाना जाना चाहिए। 100 साल पहले उन्होंने यह बात कही थी। किसानों से इसे हटाने अब 100 साल बाद प्रयास हो रहा है। महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन के बारे में कहा था, उनका सिद्धांत प्रभावी हो सकता है। अगर हमें गांधीवाद के बारे में समझना है तो राकेश टिकैत के किसानों का आंदोलन को जनना होगा। अन्नदाता हमारी प्राथमिकता में है। आम आदमी में से किसी का सरोकार किसानों के प्रति इस आंदोलन से बन पाया। किसान आंदोलन ने एक पढ़ाव पाया है, अब किसान एमएसपी को लेकर अड़े हैं। छत्तीसगढ़ में सरकार किसानों को एमएसपी से ज्यादा रेट दे रही है, इसका श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है। उन्होंने कहा, इसे समझने की जरूरत है कि जब एक तबका इसके माध्यम से पीड़ित है तो उसे कैसे लाभ दिलाया जा सकता है। यहां पर इस पर विचार किया जाएगा।
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