निलंबित रेंजर संदीप सिंह पर गैर इरादतन हत्या का आरोप, सर्व आदिवासी समाज ने CM के नाम सौंपा ज्ञापन

निलंबित रेंजर संदीप सिंह पर गैर इरादतन हत्या का आरोप, सर्व आदिवासी समाज ने CM के नाम सौंपा ज्ञापन
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रेंजर और वन कर्मियों के द्वारा वनवासियों से मारपीट का मामला गुरुवार को विधानसभा में भी गूंजा। पढ़िए पूरी खबर-

लोरमी(मुंगेली)। अचानकमार टाइगर रिजर्व के ग्राम निवासखार में रेंजर और वन कर्मियों के द्वारा वनवासियों से मारपीट का मामला गुरुवार को विधानसभा में गूंजा। विधायक धर्मजीत सिंह ने विधानसभा के मानसून सत्र पर चर्चा में आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार का मामला उठाया था। धर्मजीत सिंह ने कहा था- 'गलत साबित हुआ तो इस्तीफा दे दूंगा।' इस मामले को संज्ञान में लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने तत्काल आदिवासियों से मारपीट करने वाले रेंजर संदीप सिंह को सस्पेंड कर दिया था।

आज लोरमी में सर्व आदिवासी समाज के साथियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने सुरही रेंजर संदीप सिंह के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि निवासखार के वनवासी राम सिंह को झूठे आरोप में जेल भेज दिया गया था, जिसकी जेल से कोरोना काल के चलते छोड़ दिया गया था। बताया जा रहा है कि जेल से आने के 7 दिनों के अंदर उसकी सदमे से मौत हो गई।

इस मामले में आज समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री मंत्री व वन मंत्री व लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह से निवेदन किया है कि रेंजर संदीप सिंह के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का अपराध दर्ज कर आरोपी के ऊपर कार्रवाई की जाये।

क्या है मामला

अचानकमार टाइगर रिजर्व में विभिन्न जगह बाघों की गणना के लिए ट्रैप कैमरा लगाया गया है। इसी ट्रैप कैमरे में 17 अप्रैल को कुछ ग्रामीणों की तस्वीर तीर-धनुष और कुल्हाड़ी के साथ जाते दिखे। उनकी पतासाजी करने पर ग्रामीण निवासखार के निकले। इसी के आधार पर ग्रामीणों को गिरफ्तार करने के लिए 2 मई को दोपहर 2:30 बजे वन परिक्षेत्र चोरी की टीम रेंजर संदीप सिंह समेत 21 वनकर्मियों ने ग्रामीणों के निवास पर दबिश दी।

इस प्रकरण में वन विभाग का कहना है कि ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्रवाई का विरोध करते हुए अधिकारी कर्मचारियों को घेर लिया और गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और कागजात फाड़ दिए गए। मामले में वन विभाग की रिपोर्ट पर 17 ग्रामीणों को जेल भेज दिया गया।

इधर मामले में ग्रामीणों का कहना है कि लोगों की सहमति के बिना वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने घरों का ताला तोड़वाया और घर में घुसकर बेगुनाहों को प्रताड़ित भी किया। वहीं बुजुर्ग महिलाओं से मारपीट की गई। कैमरे में फुटेज दिखना अपराध को सिद्ध नहीं करता। वनवासियों की परंपरागत संस्कृति है कि वह तीर धनुष कुल्हाड़ी लेकर चलते हैं। महुआ संग्रह करने गए थे तब कैमरे में फुटेज आया है। ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन में लगे धारा 144 का भी वन विभाग में उल्लंघन किया है।

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