दुर्दांत नक्सली रमन्ना के बेटे रंजीत ने किया सरेंडर

सुकमा. नक्सलियों के बटालियन चीफ सेंट्रल कमेटी मेंबर रहे रमन्ना के बेटे रंजीत ने सरेंडर कर दिया है. वह माओवादियों की स्टेट कमेटी का मेंबर है. जबकि उसने तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के शहरी इलाकों में रहकर उच्च दर्जे की पढ़ाई की है. वहीं, पढ़ाई करने के बाद रंजीत 2017 के करीब तेलंगाना स्टेट कमेटी का मेंबर बना था.
बहरहाल, रंजीत माओवादियों के बड़े लीडर्स में से एक है और उसे जल्द ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही उसने तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. रंजीत सेंट्रल कमेटी मेंबर और नक्सलियों के सबसे बड़े लीडर्स में से एक रहे रमन्ना का बेटा है. रमन्ना की मौत 2019 में हार्ट अटैक से छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई थी. जानकारी के मुताबिक, रंजीत की मां सावित्री नक्सलियों के महिला विंग की प्रमुख है और उसकी भी कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से तबीयत बेहद खराब है.
बताया जा रहा है कि माओवादियों के बड़े लीडर्स में से एक रंजीत ने अपनी मां सावित्री के कहने पर ही सरेंडर किया है. वह नक्सलियों का बहुत ही इंटेलेक्चुअल लीडर है. बता दें कि रमेश के पिता रावला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना तेलंगाना के सिद्धपीठ जिले में पैदा हुआ था. 15 साल की उम्र में उसने हथियार उठाने के साथ गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी. उसका पूरा परिवार नक्सल मूवमेंट से जुड़ा हुआ है. पत्नी सोडी ईडीमी उर्फ सावित्री अंडरग्राउंड माओवादी लीडर है और बस्तर के किस्ताराम एरिया कमेटी की सेक्रेटरी है. बेटा श्रीकांत उर्फ रंजीत पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के लिए काम करता है. रमन्ना का भाई पराशरामुलु 1994 में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया, वह भी नक्सली नेता था. वहीं, 1.40 करोड़ के इनामी खूंखार नक्सली नेता रमन्ना की 7 दिसंबर 2019 को हार्ट अटैक से मौत हुई थी. रमन्ना न सिर्फ नक्सलियों को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग देता था बल्कि हथियार बनाने में भी सिद्ध हस्त था. जबकि 'भरमार' नाम की एक बंदूक का इस्तेमाल नक्सली करते हैं, वह इसे बनाने का स्पेशलिस्ट था.
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