महिला को दुर्लभ बीमारी, बचने के सिर्फ 10 फीसदी चांस, मुख्यमंत्री से साढ़े चार लाख की मदद

रायपुर: राजधानी में रहने वाली महिला को दिल की ऐसी गंभीर बीमारी थी जिससे जान बचने का मात्र दस प्रतिशत चांस था। एसीआई की सीसीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने चुनौती स्वाकारी और उसे नया जीवन देने में सफल हुए। महिला और उसका पति दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाकर हार चुके थे। जन्मजात होने वाली एब्सटीन एनोमली नामक यह दुर्लभ बीमारी दो लाख में एक बच्चे को होती है।
रायपुर में रहने वाली 26 वर्षीय महिला को इस बीमारी के बारे में पता चला था। वह पति के साथ अस्पतालों में जांच करवाती रही मगर एब्सटीन एनोमली नामक दुर्लभ बीमारी की जानकारी होने के बाद निजी अस्पतालों द्वारा उन्हें दूसरे राज्य जाकर सर्जरी कराने की सलाह दी जाती थी। इसी बीच परिवार वाले प्रदेश में अंतिम कोशिश के रुप में एसीआई पहुंचे, जहां कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने जांच के बाद इस बीमारी का पता लगाया और उसे आगे इलाज के लिए हार्ट-चेस्ट एंड वैस्कुलर विभाग में रेफर किया। चिकित्सकों ने उन्हें समझाया कि सर्जरी की सफलता के दस प्रतिशत चांस है मगर सर्जरी नहीं होने पर महिला की मौत सौ फीसदी तय है।
परिजनों की सहमति के बाद डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को पूरा किया। महिला अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है और उसे अस्पताल से छुट्टी देने की तैयारी है। डॉक्टरों के मुताबिक एब्सटीन एनोमली हृदय की जन्मजात बीमारी है। हृदय के विकास में बाधा आने पर बच्चे का हृदय असामान्य हो जाता है। यह बीमारी 2 लाख जन्मे बच्चों में से किसी एक को होता है। 13 प्रतिशत बच्चे जन्म लेते, 18 प्रतिशत बच्चे 10 साल की उम्र तथा 20 साल की उम्र तक इस बीमारी से ग्रस्त अधिकांश मरीजों की मृत्यु हो जाती है। इस सारी प्रक्रिया को हार्ट सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू, हार्ट सर्जन डॉ. निशांत चंदेल ने पूरा किया।
सर्जरी में मरीज के खून का उपयोग
विशेष तकनीक को मेडिकल भाषा में ऑटोलॉगस ब्लड ट्रांसफ्युजन कहा जाता है। इसमें मरीज के एक यूनिट खून को 8 दिन पहले निकालकर कर ब्लड बैंक में प्रोसेस के लिए रख लिया जाता है। इसी ब्लड को ऑपरेशन के दौरान मरीज को लगाया जाता है। इसके फायदे यह है कि मरीज को संक्रमण का खतरा नहीं होता एवं ब्लड रिएक्शन का खतरा नहीं होता। राज्य में इस विशेष तकनीक का इस प्रकार के ऑपरेशन में पहला प्रयोग है।
पहली बार बोवाइन टिश्यू वॉल्व का प्रयोग
मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि प्रदेश में पहली बार हृदय की सर्जरी के लिए बोवाइन टिश्यू वॉल्व का उपयोग किया गया। इस सर्जरी के लिए महिला को मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना से साढ़े चार लाख रुपये का लाभ मिला, जिससे उसके परिवार के ऊपर कोई आर्थिक बोझ नहीं आया। मुंबई-चेन्नई में इसके लिए आठ से दस लाख रुपए खर्च होते।
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