नान और खाद्य विभाग में टकराव, राशन दुकानदारों का कमीशन अटका

छत्तीसगढ़ के राशन दुकानदारों को वित्तीय पोषण राशि व निःशुल्क अनाज वितरण के कमीशन का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। बताया जाता है कि खाद्य विभाग और नान के बीच टकराव की वजह से भुगतान नहीं हो पा रहा है। पूरे प्रदेश में कमीशन का लगभग तीन करोड़ रुपए से अधिक की राशि लंबित है। कोरोना के दूसरे चरण में फिर नि:शुल्क आबंटन किए जाने वाले चावल और अन्य सामग्री के कमीशन का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। खाद्य विभाग को अब दुकानदारों का कमीशन हर तीन माह में भुगतान करने कहा गया है।
कोरोना संक्रमण के बावजूद राशन दुकानदारों ने उपभोक्ता को राशन सामग्री समय पर वितरण किया। अभी भी कोरोना संक्रमण के दूसरे चरण पर भी जोखिम उठाकर राशन वितरण किया। संचालकों को खाली बारदाना की राशि और वित्तीय पोषण राशि एवं निःशुल्क राशन समाग्री का भुगतान अप्रैल से अब तक का नहीं किया गया। दुकानदारों को फिर जुलाई से नवंबर तक नि:शुल्क चावल वितरण किया जाना है।
पिछली बार का अनाज वितरण का कमीशन एवं डिवाइस मशीन से आनलाइन वितरण का अतिरिक्त कमीशन और राज्य के दुकानदारों को अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में राशन दुकान संचालकों में रोष है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे देखते हुए खाद्य विभाग और नान के अफसरों को निर्देशित किया है कि हर तीन माह में कमीशन भुगतान करें।
खाद्य विभाग और नान करता है व्यवस्था
पीडीएस के अंतर्गत अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित, नि:शक्तजन और अन्नपूर्णा श्रेणी के राशनकार्ड धारियों को नि:शुल्क वितरण किए गए चावल का राज्य सरकार द्वारा राशन दुकान संचालकों को नागरिक आपूति निगम से भुगतान किया जाता है। इस संबंध में खाद्य संचालक ने नान के प्रबंध संचालक को पत्र लिखकर लंबित भुगतान जल्द करने का आग्रह किया। खाद्य अधिकारियों के संपर्क करने पर नान के अफसर कुछ न कुछ कमी बता कर टाल देते हैं। इसके कारण उचित मुल्य दुकान संचालकों को आज तक यह राशि नहीं मिल पाई है।
इतना मिलता है कमीशन
राशन दुकानों को 1 रुपए किलो चावल के वितरण में 45 पैसा कमीशन दिया जाता है। 55 पैसा राज्य सरकार को जाता है। वहीं एपीएल को वितरित किए जाने वाले चावल में 100 किलो चावल वितरण पर 30 रुपए, 100 किलो शक्कर पर 36 रुपए का कमीशन मिलता है। धान खरीदी में बारदाने की व्यवस्था किए जाने के बाद उसका भुगतान शेष है। दुकान संचालक पहले बाजार में बारदाना बेचकर भी लाभ कमा लेते थे। अब उन्हें बारदाना एकत्रित करके रखना पड़ता है जिसे डीएमओ के आदेश पर विभाग द्वारा ले लिया जाता है।
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