'रावण' दिलाता है रोजगार : पुतला बनाकर हो जाता है इनके घरों के लिए 6 महीने के राशन-पानी का इंतजाम

रविकांत सिंह राजपूत-मनेन्द्रगढ़। किसी का अंत भी किसी के लिए आरंभ लेकर आता है। रावण दहन को लेकर परम्परा चली आ रही है। कोरोना काल के कारण 2 साल से रावण दहन पर विराम लगा था। लेकिन अब कोरोना काल से निजात पाने के बाद देशभर में रावण दहन की तैयारी पूरी कर ली गई है।
रावण दहन होगा, तभी घर में चूल्हा जलेगा
आज देशभर में रावण दहन होगा। लेकिन एक बात यह भी है कि रावण दहन होगा तभी किसी के घर का चूल्हा भी जलेगा। दशकों से रावण का पुतला बनाते आ रहे करीगरों के घर रावण दहन होने से ही चूल्हा जलता है। रावण का पुतला तैयार करने से इन कारीगरों को लगभग 50 हजार रुपये तक की आय होती है। इससे इन कारीगरों के घर मे 6 माह का राशन आता है और इनका परिवार चलता है।
पिछले कई दशकों से बना रहे रावण का पुतला
छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में दशकों से रावण दहन होता आ रहा है। यहां पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के कारीगर बीते 20 साल से रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं। इन कारीगरों ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से यहां रावण का पुतला बनाने आ रहे है। इस पुतले को बनाने के लिए, इन्हें 50 हजार रुपये दिए जाते हैं। इस पैसे से ही इनके घर में 6 माह के राशन का जुगाड़ होता है। इसके बाद ये कारीगर गांव के आसपास मजदूरी कार्य मे लग जाते हैं ताकि अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सके। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि रावण जलेगा, तभी इनके घरों का चूल्हा भी जलेगा। देखें वीडियो..
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