आरडीए ने अभी तक नहीं बनवाए स्वतंत्र आवास, हितग्राही लगा रहे कार्यालय के चक्कर

रायपुर विकास प्राधिकरण की कमल विहार योजना में गरीब व मध्यम परिवार को 2 साल बाद भी उसके सपनों का आशियाना नसीब नहीं हुआ। बैंक से लोन लेकर जरूरतमंदों ने स्वतंत्र मकान 'रो-हाउस' के लिए किस्तें जमा कीं। किराए के मकान में रहते हुए आवास के लिए रकम जुटाने पेट काटकर जैसे-तैसे दिन गुजारे, पर प्राधिकरण ने अपना वादा पूरा नहीं किया। हालत ये है, दर्जनों हितग्राहियों को स्वतंत्र मकान तो नहीं मिले, उल्टे बैंक लोन का ब्याज और हर माह मकान का किराया देने में कमर टूट गई। प्राधिकरण वाले यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर लोगों की गाढ़ी कमाई के जमा पैसे के बदले स्वतंत्र मकान कब तक दे पाएंगे?
8 लाख 60 हजार आरडीए में फंसे, अब तक नहीं मिला मकान
जामगांव जिला बालोद के हरीश साहू ने बताया, बैंक से लोन लेकर उन्होंने कमल विहार में स्वतंत्र मकान के लिए रायपुर विकास प्राधिकरण को पूरा पैसा जमा करा दिया है। 8 लाख 60 हजार देने के बाद भी ईडब्लूएस का स्वतंत्र मकान उन्हें नहीं मिला। जबकि हर महीने उन्होंने बराबर आवास की किस्त जमा कराई है। आरडीए ने वर्ष 2021 में स्वतंत्र मकान बनाकर देने एग्रीमेंट किया, पर जहां आवास बनना था, उस जगह केवल मकान की नींव बनाकर छोड़ दी है। एक साल हो गया आरडीए दफ्तर के चक्कर काटते। आवास का अब तक अता-पता नहीं है। हमारे जैसे 18 लोग उस समय स्वतंत्र मकान के लिए आवेदन किए, जिनमें बिलासपुर, नगरी और धमतरी सहित अन्य जगहों के लोग शामिल थे, इनमें से किसी को भी स्वतंत्र मकान नहीं मिल पाया है।
लोन लेकर 5 लाख दिए, ब्याज के साथ किराया भी भर रहे
गांव फुंडहर के अमर निषाद का कहना है, कमल विहार योजना में स्वतंत्र मकान के लिए मैंने बैंक से लोन लेकर अब तक 5 लाख रुपए आरडीए काे भुगतान किया। हर तिमाही 51 हजार 870 रुपए किस्त दी, इसके बाद स्वतंत्र मकान का अता-पता नहीं है। कोरोनाकाल के समय भले ही आरडीए में मकान का पता करने गया, तब वहां के बड़े अधिकारी ने ये कहा था, नवंबर, दिसंबर में आपको नया मकान मिल जाएगा, कुछ हिस्से का काम बाकी है। तीन माह पहले फिर आरडीए दफ्तर में जाकर पता किया तो बोले 4 नंबर ब्लाॅक है, पर मकान नंबर कौन-सा है, ये नहीं बताया। स्पाॅट पर जाकर देखा तो पता चला उस ब्लाॅक में नंबरिंग ही नहीं हुई। एग्रीमेंट के समय हमसे कहा गया, ढाई साल में मकान बनाकर दे देंगे। एक लाख की सब्सिडी मिलनी थी, वो भी आज तक नहीं दी। हालत ये है, हर महीने 6 हजार लोन का ब्याज और किराये के मकान के रूप में देना पड़ रहा है। समय पर मकान दे देते तो किराये के घर में रहने की जरूरत नहीं पड़ती। फुंडहर में 3 हजार रुपए के मकान किराये में रह रहा हूं।
80 फीसदी किस्तें जमा की, मकान नहीं मिला
रायपुर निवासी संदीप कुमार ने कमल विहार योजना में ईडब्ल्यूएस के स्वतंत्र मकान लेने 80 फीसदी किस्तें रायपुर विकास प्राधिकरण को जमा कर दी, पर उन्हें आज तक आरडीए ने आवास नहीं दिया। किस्त समय पर नहीं पटाने पर पेनाल्टी लेना प्राधिकरण वाले नहीं भूलते। संदीप कुमार का कहना है, कोरोनाकाल में ब्याज की राशि शासन ने माफ कर दी थी, पर आरडीए के अधिकारी ब्याज की राशि उनसे वसूल लिए। स्वतंत्र मकान का काम अब तक चालू नहीं हुआ। उनका ये भी कहना है, इस योजना में ज्यादातर हितग्राहियों ने निर्धारित प्रीमियम की राशि का भुगतान कर दिया है, पर स्वतंत्र मकान किसी को भी नहीं मिला।
मार्च तक करेंगे हैंडओवर
कमल विहार योजना में ईडब्ल्यूएस के 253 स्वतंत्र मकान बनाए जा रहे हैं। कोरोनाकाल की वजह से निर्माण का कार्य प्रभावित हुआ। अलग-अलग जगहों पर ये मकान बनाकर देने हैं, इसलिए लेबर की दिक्कत आई। मार्च तक मकान हैंडओवर कर देंगे।
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