रेडी-टू-ईट : महिलाएं आंदोलित, लगाई गुहार- कोरोना काल में हमने जो किया, कैसे भूल गई सरकार?

रेडी-टू-ईट फूड उत्पादन और सप्लाई (Ready to eat food production and supply) के काम को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की महिलाओं के हाथों से न छीनने की मांग को लेकर राजनांदगांव, कवर्धा समेत कई जिलों में महिलाओं ने कहीं धरना प्रदर्शन, तो कहीं ज्ञापन सौंपकर अपनी आवाज बुलंद की। सोमवार को राजनांदगांव कलेक्टोरेट के सामने इसी मांग पर धरना प्रदर्शन करने के बाद राज्यपाल के नाम से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है। धरना प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति रही। पढ़िए पूरी खबर-
रायपुर। समस्त रेडी-टू-ईट कल्याण संघ के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूह (Women Self Help Groups) की महिलाओं ने इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि पूरक पोषण आहार आंगनबाड़ी केन्द्रों (Anganwadi Centers) में सप्लाई किया जा रहा है। इस कार्य से महिला समूहों को रोजगार मिला। वह आत्मनिर्भर बनीं, समूह की महिलाओं की रोजी-रोटी चलती है। नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment) को बढ़ावा मिला, लेकिन अब राज्य सरकार ने इस कार्य को महिला समूह से बंद कर कृषि विकास एवं कृषक कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाई को देने की तैयारी की है।
महिलाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) द्वारा ऐसा किए जाने से महिलाओं की रोजी-रोटी एवं रोजगार (Jobs) पूरी तरह से बंद हो जाएगा। रेडी-टू-ईट फूड का संचालन करने महिला समूह द्वारा प्लॉट संसाधन स्थापित करने में लाखों रुपए की लागत आई है। उनकी इकाई (Unit) रेडी-टू-ईट फूड उत्पादन के अलावा कोई उपयोग नहीं है। जिससे महिला समूहों को लाख रुपए की क्षति होगी। शासन द्वारा इन बातों को नजरअंदाज कर इस कार्य को महिला समूहों से छीना जा रहा है। इस कारण हम सभी महिला समूहों को आघात पहुंचा है। वर्ष 2019 कोरोना के लॉकडाउन में जिन महिलाओं ने साहस दिखाते हुए अपनी जान को हथेली पर रखकर रेडी-टू-ईट फूड तैयार कर सेवा का कार्य किया। उन्हीं महिलाओं ने रेडी-टू-इट का उत्पादन एवं सप्लाई की जिम्मेवारी महिला समूहों से यथावत कराने की मांग की है। रेडी-टू-ईट फूड उत्पादन के लिए कच्ची सामग्री क्रय करनी पड़ती है। महंगाई के कारण बढ़ी कीमतों में सामग्री खरीदी करनी पड़ती है। इस कारण प्रत्येक महिला समूह 3 से 4 लाख तक के कर्ज में डूबी हुई है। रेडी-टू-ईट फूड कार्य संचालित रखने के लिए महिला समूह को समय-समय पर प्रशिक्षित किया गया एवं संबंधित परियोजना कार्यालय को सतत निगरानी में काम किया जाता है। इस कार्य को करने परियोजना कार्यालय द्वारा प्रत्येक 2 वर्षों के लिए अनुबंध किया जाता है। वर्तमान में उसकी अवधि पूर्ण नहीं हुई है। महिला समूहों द्वारा पिछले लंबे अरसे से रेडी-टू-ईट का उत्पादन किया जा रहा है।
कवर्धा में बच्चों के लिए भोजन बनाने वाली सैकड़ों महिलाओं ने स्कूल की रसोई में ताला लगाकर अपनी मांगों को लेकर सोमवार जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंची और मुख्यमंत्री के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। महिलाओं ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी देते हुए कहां कि मांगें पूरी जब तक नहीं होगी, तब तक स्कूलों में भोजन नहीं बनाएंगे। वहीं महिलाओं द्वारा स्कूलों में भोजन नहीं बनाए जाने से जिले के हजारों बच्चों को भूखा रहना पड़ा। महिला रसोईया वेदन छेदावी ने बताया कि खाना बनाने वालों को सरकार द्वारा प्रतिमाह 12 सौ रुपए मिलता है, वो भी इस सत्र के स्कूल प्रारंभ होने से अब तक नहीं मिला है। उन्होंने बताया, विकासखंड बोड़ला के अधिकारियों से संपर्क करने पर दो माह का मानदेय खाते में डाले जाने की बात कही, लेकिन अभी तक किसी के खाते में अभी पैसा नहीं आया है। विगत छः माह से किसी भी को मानदेय नहीं मिला है। महिलाओं का कहना है प्रदेश सरकार से 40 रुपए रोजी के हिसाब से 12 सौ रुपए मानदेय दिया जाता है और 4 से 5 माह का मानदेय अब तक नहीं दिया गया है, जिससे जीवन यापन करना बहुत मुश्किल हो रहा है। यहां के मजदूरों को 300 रुपए रोजी दिया जाता है, जबकि स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन बनाने वाले रसोइयों बहुत कम राशि दी जाती है। महिलाओं ने अपना मानदेय 12 सौ से 9 हजार रुपए देने की मांग की है। वहीं महिलाओं ने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की जब तक मांग पूरी नही होगी स्कूलों में भोजन नहीं बनाएंगे। कवर्धा में मध्यान्ह भोजन बनने वाली सैकड़ों महिलाओं ने जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जिला प्रशासन के सामने अपनी मांगें रखी और कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी, तब तक स्कूलों में मध्यान भोजन नहीं बनाएंगे। कवर्धा के अपर कलेक्टर ने कहा कि रसोइयों ने ज्ञापन सौपा है, उस ज्ञापन को शासन को भेजा जाएगा।
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