विधानसभा में न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पेश: 223 गायों की मौत भूख से हुई थी

रायपुर: 2017 में छत्तीसगढ़ में तीन गोशालाओं में कुल 223 गायों की मौतें हुई थी। इनमें से अधिकांश की जान भूखे रहने के कारण सर्कियूलेटरी फेल्योर के कारण हुई थी। यह निष्कर्ष गायों की मौत के मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट से सामने आया है। यह जांच रिपोर्ट बुधवार को राज्य विधानसभा में पेश की गई है। गायों की मौत की घटनाएं दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड़ के ग्राम राजपुर की शगुन गोशाला, बेमेतरा जिले के साजा विकासखंड़ के ग्राम गोडमर्रा में फूलचंद गोशाला और ग्राम रानो में मयूरी गोशाला में हुई थी। तीन गोशालाओं में गायों की मौतों की जांच के लिए तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन एके सामंत रे सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश व पूर्व प्रमुख सचिव विधि विभाग की अध्यक्षता में किया गया था। इन बिंदुओं के आधार पर जांच की गई। कितने पशुओं की मृत्यु किन कारणों से हुई? क्या उक्त घटना घटित होने से रोकी जा सकती थी। घटना के लिए कौन उत्तरदायी है? घटना की पुनरावृत्ति न हो इस उद्देश्य से गोशालाओं के समुचित प्रबंधन हेतु क्या-क्या सुधार किए जाएं? गोशाला पंजीयन एवं अनुदान तथा पर्यवेक्षण की व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए क्या-क्या सुधार किए जाएं।
गायों की मौत के लिए ये हैं जिम्मेदार
न्यायिक जांच आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि तीनों गोशाला प्रबंधन अगर पशुओं को आहार खिलाते, भूखा नहीं रखते और विशेषर पटेल (तत्कालीन अध्यक्ष गोसेवा आयोग) द्वारा समय पर गायों के पोषण आहार अनुदान की राशि दे दी गई होती तो यह घटना घटित नहीं होती। घटना को घटित होने से रोका जा सकता था। इस घटना के लिए हरीश वर्मा अध्यक्ष शगुन गोशाला, सरस्वती वर्मा संरक्षक शगुन गोशाला, लक्ष्मी देवी अध्यक्ष फूलचंद गोशाला, एम नारायण अध्यक्ष मयूरी गोरक्षा केंद्र एवं विशेषर पटेल घटना के लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं।
ये निष्कर्ष आया सामने
तीनों गोशालाओं में कुल 223 पशुओं की मौतें हुई थी, जिसमें शगुन गोशाला में 51, फूलचंद गोशाला में 139 एवं मयूरी गोरक्षा केंद्र में 33 पशु की मृत्यु हुई थी। करीब 9 पशुओं की मौतें फॉरेन बॉडी से हुई थी। शेष की मौत भूखे रहने के कारण सर्कियूलेटरी फेल्योर के कारण हुई।
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