तेंदुए के आगे का दांत टूटे होने की वजह से पूरी जिंदगी कैद में ही बिताएगा: गठित समिति का कहना

रायपुर। मनेंद्रगढ़ के जनकपुर में रेस्क्यू किया गया तेंदुआ अब पूरी जिंदगी कैद में ही बिताएगा। इसकी वजह तेंदुए के मुंह के सामने ऊपरी हिस्से का (कैनाइन) दांत टूटा होना बताया जा रहा है। तेंदुआ रेस्क्यू करने के बाद गठित आठ सदस्यीय समिति ने उसे सुरक्षित जू में रखने की अनुशंसा की है। उल्लेखनीय है कि मनेंद्रगढ़ वनमंडल में तीन लोगों पर हमला कर जान लेने वाले तेंदुए का 18 जनवरी को रेस्क्यू किया गया था, जिसके बाद जंगल सफारी जू में लाया गया। उसका भविष्य निर्धारित करने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया गया। समिति की इसी महीने 1 तथा 2 फरवरी को बैठक हुई। बैठक में तेंदुए के स्वास्थ्य की हिस्ट्रीशीट के बारे में जानकारी ली गई।
रेस्क्यू के पूर्व गठित होनी थी समिति
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथाॅरिटी (एनटीसीए) की गाइडलाइन के मुताबिक किसी वन्यजीव द्वारा आबादी क्षेत्र में घुसकर हमला करने की स्थिति में वन्यजीव का रेस्क्यू करने समिति पहले गठित की जाती है। साथ ही समिति की देखरेख में वन्यजीव का रेस्क्यू किया जाता है। तेंदुआ सवा महीने से रहवासी क्षेत्र में घुसकर लोगों पर हमला कर रहा था। ऐसी स्थिति में पूर्व में समिति बनाने के बजाय तेंदुए का रेस्क्यू करने के बाद समिति का गठन किया गया।
दांत टूटने की जानकारी नहीं
तेंदुए को रेस्क्यू करने के बाद उसका प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना था, वह नहीं किया गया। वन्यजीव चिकित्सकों ने तेंदुए के कैनाइन दांत टूटे होने की जानकारी रेस्क्यू करने के 10 दिन बाद दी। इससे वन्यजीवों के जानकार तेंदुए को रेस्क्यू करने के बाद कैनाइन दांत के टूटने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं, जबकि एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी शेड्यूल-1 प्रजाति के वन्यजीवों का रेस्क्यू करने के तत्काल बाद उसका स्वास्थ्य परीक्षण कर मेडिकल रिपोर्ट जारी किया जाना जरूरी है।
इसलिए नहीं छोड़ेंगे तेंदुए को
बैठक में शामिल एक वन अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तेंदुए का रेस्क्यू करने के बाद 1 तथा 2 फरवरी को समिति की बैठक हुई। इस दौरान यह बात सामने आई कि तेंदुए के मुंह के ऊपर दायीं तरफ का कैनाइन दांत टूटा हुआ है। इस वजह से वह शिकार करने में सक्षम नहीं है। ऐसी स्थिति में वह साॅफ्ट टार्गेट की तलाश में रहता है। उसे सुरक्षित तरीके से किसी जू में ही रखा जाना उचित होगा।
बगैर दांत के भी जंगल में स्वस्थ मिली मादा
वन्यजीव के अफसर जहां बगैर कैनाइन दांत के तेंदुए द्वारा शिकार नहीं किए जाने की बात कह रहे हैं। इसके विपरीत वर्ष 2021 में गरियाबंद में वनकर्मियों ने एक मादा तेंदुए का रेस्क्यू किया था। उसका भी कैनाइन दांत नहीं था। जब तेंदुए का रेस्क्यू किया गया, तब वह पूरी तरह से स्वस्थ था। जंगल में कई बार शिकार करते समय बिग कैट प्रजाति के एनिमल के कैनाइन दांत टूट जाते हैं। इसके बावजूद वे जंगल में बड़े वन्यजीव की जगह छोटे प्रजाति के वन्यजीवों का शिकार कर अपना पेट भर लेते हैं।
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