रेस्ट हाउस बना 'परमानेंट' हाउस : विधायक और अफसरों का है कब्जा, वीआईपी के आने पर क्या होता है.... पढ़िए...

रेस्ट हाउस बना परमानेंट हाउस : विधायक और अफसरों का है कब्जा, वीआईपी के आने पर क्या होता है.... पढ़िए...
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वैसे तो नाम से लगता है कि केवल विश्राम करने के लिए रेस्ट हाउस बना है। मगर इस रेस्ट हाउस में कई सालों से अधिकारियों, विधायक और विधायक के कर्मचारियों का कब्जा है। पढ़िए पूरी खबर...

रविकांत सिंह राजपूत/मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में बना शासकीय रेस्ट हाउस नेताओं और अधिकारियों का परमानेंट घर बन गया है। वैसे तो नाम से लगता है कि केवल विश्राम करने के लिए रेस्ट हाउस बना है। मगर इस रेस्ट हाउस में कई सालों से अधिकारियों, विधायक और विधायक के कर्मचारियों का कब्जा है। जब कभी किसी गेस्ट को रेस्ट करने यहां आना होता है तो फिर आनन—फानन में सामान शिफ्टिंग की जाती है। यहां के गेस्ट हाउस में जिनका कब्जा है, उसमें विधायक और दो अधिकारी शामिल हैं। वैसे तो शासन से इनको मकान किराया मिलता होगा, लेकिन फोकट के जुगाड़ में रहकर इसको भी बचाने की कवायद में ये सभी रेस्ट हाउस को ही अपना मकान बना चुके हैं।

रेस्ट हाउस में सालों से स्थाई कब्जा

उल्लेखनीय है कि, किसी भी शहर का रेस्ट हाउस वहां आने वाले व्हीआईपी, बड़े अधिकारी और विशेष अतिथियों के अस्थाई रूप से ठहरने का ठिकाना होता है। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधायक से लेकर तमाम अधिकारियों के लिए नाम मात्र का शुल्क पटाकर रुकने की यहां व्यवस्था होती है। मगर नए जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में कुछ अधिकारी और विधायक का पिछले कई साल से स्थाई कब्जा है और जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

रेस्ट हाउस इनके लिए बना 'बेस्ट हाउस'

सोनहत-भरतपुर विधायक गुलाब कमरो एक कमरे में और उनके पीएसओ और ड्रायवर दूसरे कमरे में कब्जा जमाए हुए हैं। जबकि इसी रेस्ट हाउस के ठीक पीछे विधायक श्री कमरो को शासकीय माकान मिला है। इसमें उनका परिवार रहता है। विधायक और उनके पीएसओ के अलावा 6 महीने से दो डिप्टी कलेक्टर रेस्ट हाउस में कब्जा जमाए हुए हैं। इनमें प्रवीण भगत और एक महिला संयुक्त कलेक्टर के नाम शामिल हैं। हालांकि अभी हाल फिलहाल में महिला संयुक्त कलेक्टर की शादी के बाद रेस्ट हाउस के उस रूम पर जनसंपर्क अधिकारी ने अपना कब्जा जमा लिया है।

वीआईपी मूवमेंट हुआ तो दो बार शिफ्टिंग

इस अव्यवस्था और कब्जे का नतीजा यह है कि जब कोई वीआईपी या बड़े नेता जब मनेन्द्रगढ आते हैं, तब रूम खाली करवाने के लिए यहां के कर्मचारियों को सामान शिफ्टिंग का काम एक बार नहीं दो—दो बार करना होता है। एक बार तब जब वीआईपी आते हैं और एक बार तब जब वीआईपी आकर जाते हैं। मतलब कुल मिलाकर मनेन्द्रगढ़ का रेस्ट हाउस विधायक और अधिकारियों का बेस्ट हाउस बनकर रह गया है।

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