ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आया क्रांतिकारी बदलाव : महात्मा गांधी औद्योगिक पार्क से महिलाओं के सपने हो रहे साकार, जशपुर सी-मार्ट ने रचा कीर्तिमान

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के गांवों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए महात्मा गांधी औद्योगिक पार्क (रीपा) की शुरुआत की है। स्व-सहायता समूह की माहिलाएं आज विभिन्न आजिविका मूलक गतिविधियों से जुड़कर सफलता की नई कहानियां लिख रही हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने महिलाओं की बनाई सामग्रियों की बिक्री के लिए सी-मार्ट की भी सुविधा दी है। जशपुर के सी-मार्ट से स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने 2 करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक की सामग्रियों की बिक्री की है। गौठान में उत्पाद सामग्रियों का पैकेजिंग करने के लिए फूड लैब की सुविधा प्रशासन ने उपलब्ध कराई है।
पत्थलगांव विकास खण्ड के बहनाटांगर गौठान में महिलाएं पोल निर्माण, सरसों तेल का उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, मुर्गी हेचरी, मुर्रा उत्पादन, टोमेटो केचअप निर्माण का कार्य बेहतर तरीके से कर रही हैं। समूह की महिलाओं को 6 हजार पोल निर्माण से 4 लाख 20 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी हो चुकी है। सामुदायिक बाड़ी और बकरी पालन से महिलाएं अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं। उनके द्वारा मुर्रा बनाने का काम भी किया जा रहा है।
शुद्ध सरसों तेल की है बड़ी डिमांड
पूजा स्व-सहायता समूह की महिलाएं रीपा के तहत सरसों तेल पेराई का कार्य कर रही हैं। प्रशासन ने उन्हें मशीन की सुविधा भी दी है। तेल की शुद्धता के कारण स्थानीय लोगों और अन्य दुकानों में भी इसकी मांग निरंतर बनी रहती है
हरी सब्जियों से हो रही अच्छी इनकम
सामुदायिक बाड़ी से शक्ति स्व-सहायता की महिलाएं हरी साग-सब्जी में टमाटर, भिन्डी, बरबट्टी, लौकी, हरी मिर्च एवं अन्य सब्जियां उगाई जा रही हैं। स्थानीय हाट बाजार में साग-सब्जी आसानी से हाथों-हाथ बिक जाती है। अच्छी आमदनी होने के कारण महिलाएं इसे रुचि लेकर भी कर रही है।
मुर्गी हेचरी से चूजों की है बड़ी मांग
मुर्गी हेचरी का कार्य जय माता स्व-सहायता समूह के द्वारा अंडे से चूजा उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। मुर्गी के चूजे को अन्य गौठानों में भी मांग के अनुसार भेजा जाता है।
हल्दी-मसालों की खेती से हो रही काफी आमदनी
संस्कार स्व-सहायता समूह की महिलाएं टोमेटो केचअप बनाने का कार्य कर रही हैं। इसी प्रकार कासाबेल विकासखण्ड के ग्राम रजौटी (बगिया) गौठान की रानी स्व-सहायता समूह की महिलाएं हल्दी की खेती, मसाला की खेती कर ही है। महिलाओं ने अब तक मसाला उत्पादन से अच्छी आमदनी अर्जित कर चुकी है।
आश्रम-छात्रावासों में भेज रहीं उत्पाद
महिलाओं द्वारा तैयार सामग्रियों को सी-मार्ट के साथ-साथ स्कूल के आश्रम छात्रावास, स्थानीय हाट बाजार, जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में विक्रय किया जाता है। इससे महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है।
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