'बारदाने के लिए दंगा-फसाद की स्थिति', राज्यसभा सांसद ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना

धमतरी। राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम निजी दौरे पर कुरुद पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पीडब्ल्यूडी रेस्टहाउस में बीजेपी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस बीच रामविचार नेताम ने मीडिया के कई अहम सवालों के जवाब भी दिए। धान खरीदी के मामले में राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा- 'पूरे प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत खरीदी हुई है और अभी से प्रदेश में स्थितियां खराब है। अगर ऐसा ही रहा तो पूरी धान खरीदी तक हालात और इससे खराब हो सकती है, कहीं बरदाना की कमी है तो कहीं उठाव की कमी है। यहां दंगा फसाद की स्थिति निर्मित हो रही है किसानों के साथ अन्याय हुआ है। पहले रकबा कम किया गया और अब भुगतान की स्थिति भी अच्छी नहीं है जबकि पिछली बार का भुगतान अभी तक सरकार नहीं कर पाई है। कुल मिलाकर किसान अब अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है।
हिंसा फैलाने राम का सहारा लेती है बीजेपी मुख्यमंत्री के इस बयान पर राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद की अपनी एक गरिमा होती है और अपने पद के अनुरूप इस तरह का अगर बयान दे रहे हैं, तो यह विभाजनकारी बात है और उनकी यह भाषा बांटने वाली भाषा है। अफसरशाही के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अफसरशाही के हालात बन रहे है कहीं अफसर हावी है तो कहीं कांग्रेस नेता ही हावी है। जब-जब कांग्रेस की सरकार बनी है तब-तब कांग्रेसी सत्ता का पूरी तरह से दुरुपयोग करती आई है यहां तक कि प्रशासन का राजनीतिकरण करने से बाज नही आते हैं। कभी पुलिस की कमान भी खुद संभालने लग जाते हैं।
कृषि बिल पर किसानों का विरोध के मामले में रामविचार नेताम कहा कि बीजेपी की ओर से हम लोगों ने किसानों का सम्मेलन कर रहे हैं और किसानों से वार्ता किया। लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों को संबोधित कर रहे है और बिल के संबंध में जानकारी दे रहे हैं लेकिन विपक्ष भ्रांति फैलाने का काम कर रही है। यह विरोध राजनीति से प्रेरित है। किसानों का सीधा विरोध नहीं है वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में जो लोग विरोध कर रहे हैं वह किसी न किसी दल के लोग हैं।
मोहन मरकाम के 'भाजपा ने अपने सुख के लिए 40 हजार करोड़ का कर्ज लिया था' के बयान पर पलटवार करते हुए रामविचार नेताम ने कहा कि हम कभी भी कर्जे में नहीं डूबे और ना ही हमें कभी ऐसा लगा कि कर्ज में हैं लेकिन इस समय बार-बार कर्जे की बात हो रही है। सरकार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी कर्जे लिए जा रही है। यह सब बेकार की बातें है। पहले कांग्रेस अपने गिरेबान में झांके कि कहां उनकी गलती है और उसे कैसे सुधार सकते हैं।
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