बिना रिंग रोड के हांफ रहीं यहां की सड़कें : प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रहा छत्तीसगढ़ का इंडस्ट्रियल हब

अमित गुप्ता रायगढ़। इंडस्ट्रियल हब के रूप में तेजी से डेवलप होने वाला रायगढ़ शहर में रिंग रोड निर्माण की योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। शहर की सड़कों पर लगातार वाहनों का दबाव बढ़ रहा है, जिससे सड़क हादसे भी हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद अब तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई है। पूर्ववर्ती सरकार में इसके लिए कार्ययोजना बनाई गई थी और जमीन का सर्वे भी किया गया था लेकिन निजी जमीन आड़े आने की वजह से योजना आधे में लटक गई। ऐसे में अब प्रशासनिक उदासीनता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, रायगढ़ शहर की सड़कों में पिछले दस सालों में गाडियों का दबाव लगातार बढ़ा है। यातायात विभाग के आंकड़े कहते हैं कि जिले की सड़कों से हर दिन 4500 से अधिक भारी वाहनों की आवाजाही होती है। इसमें से 30 फीसदी वाहन शहर के भीतर से होकर गुजरते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में बिना इंट्री किए गुजरने के लिए रिंग-रोड ही नहीं बन पाया है। पूर्ववर्ती सरकार में रायगढ़ विधायक रोशनलाल अग्रवाल ने इस संबंध में कार्ययोजना बनाई थी, और नगर निगम की ओर से प्रस्ताव बनाकर भी राज्य शासन को भेजा गया था। शहर के पहाड़ मंदिर इलाके से केआईटी रोड तक की जमीन का चिन्हांकन भी किया गया था। लेकिन बड़ी तादाद में निजी जमीन आने और अधिग्रहण की वजह से प्रोजेक्ट कास्ट बढ़ने का हवाला देते हुए शासन ने इस योजना से हाथ खींच लिया था। तब से इस दिशा में कोई योजना ही नहीं बन सकी। आलम ये है कि शहर की सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढ रहा है, और इस वजह से सडक हादसे भी बढ रहे हैं। जिले में बीते साल ही 567 सड़क हादसे दर्ज किये गए थे जिसमें से अधिकांश हादसे भारी वाहनों की वजह से हुए हैं। इधर भाजपा इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार इस ओर गंभीर नहीं है जिसकी वजह से महत्वपूर्ण योजना पर एक इंच भी काम नहीं हो पाया है।
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