नारायणपुर कलेक्ट्रेट में बवाल : कलेक्ट्रेट में घुसे रावघाट परियोजना का विरोध कर रहे हजारों ग्रामीण, पुलिस ने लाठी भांजी तो और उग्र हुए आंदोलनकारी

नारायणपुर कलेक्ट्रेट में बवाल : कलेक्ट्रेट में घुसे रावघाट परियोजना का विरोध कर रहे हजारों ग्रामीण, पुलिस ने लाठी भांजी तो और उग्र हुए आंदोलनकारी
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ग्रामीणों का आरोप है कि वे सड़क पर नाका लगाकर धरने पर बैठे थे। इस धरने को खत्म करने पुलिस और कलेक्ट्रेट के अफसर लगातार दबाव बना रहे थे। कुछ ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि नक्सली केस में फंसाने की धमकी भी दी जा रही थी। पढ़िए पूरी खबर...

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में रावघाट परियोजना को लेकर शुक्रवार को बवाल मच गया। परियोजना के विरोध में हजारों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों की भीड़ उग्र हो गई। पुलिस के बैरिकेड्स को तोड़कर ग्रामीण कलेक्ट्रेट के अंदर घुस गए, और जमकर नारेबाजी होती रही। ग्रामीणों का आंदोलन गुरुवार की दोपहर से जारी था। फिलहाल पुलिस ग्रामीणों को रोकने में नाकाम साबित हुई है। भीड़ जब बैरिकेड्स तोड़ रही थी तो पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिससे ग्रामीण और आक्रोशित हो गए। ग्रामीण रावघाट परियोजना को बंद करने की मांग पर अड़े हैं।

आंदोलित ग्रामीणों का कहना है कि बिना ग्रामसभा की अनुमति के रावघाट से लौह अयस्क का उत्खनन शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों कहते हैं कि यह हमारा अयस्क है और कंपनी इसकी चोरी कर रही है। 2 सप्ताह पहले BSP के कॉन्ट्रेक्टर देव माइनिंग कंपनी ने ट्रक से लौह अयस्क का परिवहन करना शुरू कर दिया था। जिसे इलाके के ग्रामीणों ने चोरी बताया और ट्रक को खोडगांव में ही खड़ा करवा दिया। जिसके बाद ट्रक से लौह अयस्क को खाली करवाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब थाने में इस मामले के संबंध में FIR करवानी चाही तो पुलिस ने नहीं की।

ग्रामीणों ने सड़क पर खड़े किए अवरोध

रावघाट परियोंजना का विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है 4 जून 2009 में कंपनी को दी गई पर्यावरण स्वीकृति की कंडिका A(xxii) में रात के दौरान किसी भी ट्रक का इन सड़कों पर परिवहन सख्त प्रतिबंधित है। खनन करने वाली कंपनी ने पर्यावरण मंत्रालय को कई बार आश्वस्त किया है कि समस्त परिवहन दिन के समय ही होगा। इस गैर कानूनी परिवहन को रोकने के लिए ग्रामीणों ने सड़क पर नाका भी बना दिया है। विरोध करने वाले गांवों में मुख्य रूप से खोडगांव, खड़कागांव, बिंजली, परलभाट, खैराभाट समेत अन्य रावघाट खदान प्रभावित गांव हैं।

धरना बंद करने के लिए दबाव बनाने का आरोप

आंदोलित ग्रामीणों का आरोप है कि वे सड़क पर नाका लगाकर धरने पर बैठे थे। इस धरने को खत्म करने पुलिस और कलेक्ट्रेट के अफसर लगातार दबाव बना रहे थे। कुछ ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि नक्सली केस में फंसाने की धमकी भी दी जा रही थी। दबाव के बाद भी जब ग्रामीण नहीं माने तो जनपद ऑफिस बुलाकर क्या चाहते हो, सब कुछ देंगे कहकर लुभाया जा रहा था।

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