बौद्ध सम्मेलन पर बवाल : राजगामी न्यास संपदा के अध्यक्ष बोले- दलितों के खिलाफ षड़यंत्र का हिस्सा है बौद्ध सम्मेलन से उठा विवाद, सोची-समझी साजिश के तहत आयोजन समिति ने रुकने को कहा...

बौद्ध सम्मेलन पर बवाल : राजगामी न्यास संपदा के अध्यक्ष बोले- दलितों के खिलाफ षड़यंत्र का हिस्सा है बौद्ध सम्मेलन से उठा विवाद, सोची-समझी साजिश के तहत आयोजन समिति ने रुकने को कहा...
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बौद्ध सम्मेलन से उठे विवाद को लेकर राजगामी न्यास संपदा के अध्यक्ष विवेक वासनिक ने अपनी सफाई दी है। इस पूरे मामले से जुड़ी परिस्थितियों को सार्वजनिक करते हुए उन्होंने सांसद संतोष पांडेय की ओर से उठाई गई इस्तीफे की मांग को आधारहीन बताया है। क्या है मामला पढ़िए पूरी खबर...

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में हुए बौद्ध सम्मेलन से उठे विवाद को लेकर राजगामी न्यास संपदा के अध्यक्ष विवेक वासनिक ने अपनी सफाई दी है। इस पूरे मामले से जुड़ी परिस्थितियों को सार्वजनिक करते हुए उन्होंने सांसद संतोष पांडेय की ओर से उठाई गई इस्तीफे की मांग को आधारहीन बताया है। बौद्ध सम्मेलन से उपजे विवाद के बारे में अपना पक्ष रखते हुए विवेक वासनिक ने कहा कि मैं और महापौर इस सम्मेलन में बतौर अतिथि सम्मिलित हुए थे। वहीं कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और बीजेपी के जिलाध्यक्ष और पूर्व सांसद मधुसूदन यादव भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे। हालांकि, उद्बोधन के बाद वे कार्यक्रम से लौट चुके थे तथा हम भी जाने के लिए मंच से उतर गए थे। लेकिन इसी बीच किसी सोची-समझी साजिश के तहत आयोजन समिति की ओर से 5 मिनट और रुकने की विनती की गई और अचानक एक बौद्ध भिक्षु ने सभी को खड़े होकर हाथ आगे करने के निर्देश दिए गए। वहां हमें ये नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है और अचानक उस भिक्षु ने ये प्रतिज्ञा का पाठन माइक से किया और सभी को इसे दोहराने के निर्देश दिए गए। जैसे ही उन प्रतिज्ञा से हम असहमत हुए हमने अपने हाथ नीचे किए क्योंकि अगर हम वहां विरोध करते तो वहां उपस्थित बौद्ध समूह की ओर से हमारे साथ अभद्रता करने की घटना घट सकती थीं।

हमें हमारे हिन्दू दोस्तों और हिन्दुस्तान से अलग करने की साजिश रची जा रही : वासनिक

विवेक वासनिक ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के अगले ही दिन सांसद संतोष पांडेय का एक वीडियो जारी हुआ है। इसमें मेरा हाथ खड़ा है और इसी आधार पर उसके विरोध में मुझसे अपने पद से त्यागपत्र मांगा गया है। मुझ पर और हम बौद्धों पर हिन्दू विरोधी होने की बात कही गई है, जबकि होली, दिवाली, रक्षाबंधन और अन्य सभी पर्व हम भी मनाते हैं। हम मां बम्लेश्वरी और दंतेश्वरी के मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश जी और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापना में मेरा आर्थिक और शारीरिक रूप से महत्व पूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि षड्यंत्र के तहत सांसद की ओर से देश की मुख्यधारा से बौद्ध और दलित को हिन्दू विरोधी से हटाकर पाकिस्तान की संज्ञा दी जा रही है। क्यों हमें हमारे हिन्दू दोस्तों और हिन्दुस्तान से अलग करने की साजिश रची जा रही है।

हर नागरिक का फंडामेंटल अधिकार

श्री वासनिक ने कहा कि भारतीय संविधान की धारा 25,26,27 के अनुच्छेद में किसी धर्म को मानना या नहीं मानना, ये देश के हर नागरिक का फंडामेंटल अधिकार है, पर देश के लोगों पर अब ये फुट डालो राज करो की राजनीति नहीं चलेगी। यह बात सांसद संतोष पांडेय को समझ जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मेरी उस कार्यक्रम में उपस्थिति से जिन—जिन की भावनाएं आहत हुईं है, मैं उन सबसे हाथ जोड़कर क्षमा मंगाता हूं और भविष्य में एसे कार्यक्रमों का मैं बहिष्कार करूंगा, मैं भी आपका भाई हूं, बेटा हूं मित्र हूं।

ये है पूरा मामला

दरअसल 7 नवंबर को राजनादगांव में शिवनाथ नदी के तट पर मोहारा ऑक्सीजोन में राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन में बौद्ध भंतों ने मंच से लोगों को दिलाई कि ''मैं गौरी, गणपति और हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा और ना ही उनकी कभी भी पूजा करूंगा। मैं इस बात पर भी कभी विश्वास नहीं करूंगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।'' इस एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो वायरल होने के बाद राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय ने निशाना साधते हुए कहा था कि राजगामी संपदा न्यास के अध्यक्ष पद पर आसीन विवेक वासनिक को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिले में भगवान जगन्नाथ, राधा-कृष्ण समेत कई प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें पूरी संस्कारधानी पूजती है। ऐसे में ये शपथ दिलाकर यहां के सौहार्द्रपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई है। शांत सरोवर में पत्थर फेंकने और जहर घोलने वालों से लोगों को सावधान रहना होगा। सांसद श्री पांडेय ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के लोग सरल, सहज और भोलेभाले हैं, लेकिन यहां के ताने-बाने को तोड़ने की इजाजत किसी को नहीं है। सामाजिक और धार्मिक आधार पर जो नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है, वो माफी के लायक नहीं है। किसी को भी किसी के देवी-देवताओं को अपमानित करने की इजाजत नहीं है।

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