आरक्षण पर बवाल : CM का राज्यपाल पर निशाना, ट्वीट कर लिखा-अगर ये तुम्हारी चुनौती है, तो मुझे स्वीकार है, लेकिन तुम्हारे लड़ने के तरीके पर धिक्कार है...

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों आरक्षण पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सरकार और राजभवन आमने-सामने आ गए हैं। आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर सार्वजनिक हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, अगर ये तुम्हारी चुनौती है तो मुझे स्वीकार है... लेकिन तुम्हारे लड़ने के तरीके पर धिक्कार है...
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहीं नहीं रूके। उन्होंने लिखा- सनद रहे! भले "संस्थान' तुम्हारा हथियार है, लड़कर जीतेंगे! वह भीख नहीं अधिकार है। फिर भी एक निवेदन स्वीकार करो- कायरों की तरह न तुम छिपकर वार करो, राज्यपाल पद की गरिमा मत तार-तार करो। विदित हो कि एक दिन पहले ही कांग्रेस ने रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में जन अधिकार महारैली का आयोजन किया था, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, छत्तीसगढ़ में दो-चार बंधुआ लोगों को छोड़कर सभी लोग आरक्षण विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। उस विधेयक को राज्यपाल ने रोक रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा, मैने पहले भी आग्रह किया है, फिर कर रहा हूं कि राज्यपाल हठधर्मिता छोड़ें। या तो वे विधेयक पर हस्ताक्षर करें या फिर उसे विधानसभा को लौटा दें।

विधेयक पर ना हस्ताक्षर कर रही न ही लौटा रहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि, राज्यपाल न विधेयक पर हस्ताक्षर कर रही हैं और न विधानसभा को लौटा रही हैं और सवाल सरकार से कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने रैली में कहा था, कि उच्च न्यायालय के एक फैसले से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो चुका है। भाजपा आरक्षण विरोधी है। भाजपा नहीं चाहती है कि आपको आरक्षण मिले। इसी वजह से केंद्र सरकार 14 लाख पद खाली होने के बाद भी नई भर्ती नहीं कर रही है। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचा जा रहा है, ताकि आरक्षण का लाभ न देना पड़े। छत्तीसगढ़ सरकार लोगों को नौकरी देना चाहती है, तो राजभवन से उसे रोका जा रहा है।
अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का लगाया आरोप
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महारैली में कहा- मंत्रिमंडल राज्यपाल को सलाह देने के लिए होता है] लेकिन विधानसभा उन्हें सलाह देने के लिए नहीं है। मंत्रिमंडल सलाह देगी, जो जानकारी मांगेंगी वह देंगे, लेकिन जो संपत्ति विधानसभा की है, उसका जवाब सरकार नहीं देती। इसकी वजह यह है कि विधायिका का काम अलग है, कार्यपालिका का काम अलग है और न्यायपालिका का काम अलग है। संविधान में सबकी जिम्मेदारी बंटी हुई है। राजभवन ने अधिकार क्षेत्र से बाहर होकर सरकार से प्रश्न पूछा है।
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