आरक्षण पर बवाल : विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने सीएम का विस अध्यक्ष को पत्र, एक या दो दिसम्बर को सत्र बुलाने का आग्रह

आरक्षण पर बवाल : विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने सीएम का विस अध्यक्ष को पत्र, एक या दो दिसम्बर को सत्र बुलाने का आग्रह
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें एक या दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया गया है। अब इस पर भी सियासत शुरू हो गई है... पढ़िए पूरी खबर..

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को एक प्रस्ताव भी भेजा है, जिसमें एक या दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का उल्लेख किया गया है। इस विशेष सत्र बुलाने पर भाजपा ने कहा कि आने वाले महीने में बस्तर में एक सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होना है। चुनाव में आरक्षण मुद्दा न बने इसलिए कांग्रेस सरकार जल्दबाजी में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में जुटी है।

मंत्री अमरजीत ने मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार

मंत्री अमरजीत भगत ने आदिवासियों के आरक्षण कटौती मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया है। मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कांग्रेस आदिवासियों के आरक्षण के साथ खड़ी है। कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों का साथ दिया है। नन्द कुमार साय के आरोप पर मंत्री अमरजीत भगत ने कहा वे विपक्ष में है और कुछ भी कह सकते हैं। आदिवासियों को संरक्षण देने का कार्य किसी ने किया है तो वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है, नहीं तो भारत सरकार ने वनांचल में रहने वाले लोगों को इन्क्रोजर घोषित कर दिया था।

धोखा देने का काम कर रही सरकार : शिवरतन

इस संबंध में भाजपा नेता शिवरतन शर्मा ने कहा है कि आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस धोखा देने का काम कर रही है। भाजपा नेता ने कहा भूपेश सरकार कैबिनेट में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना तय करती है और बाद में कुणाल शुक्ला कोर्ट जाकर स्टे ले आते है। सरकार उसे कबीर शोध पीठ का अध्यक्ष बनाया जाता है

जब अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी आरक्षण मिला तो केपी खांडे ने इसके खिलाफ याचिका लगाई। बाद में उसे भी अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। कांग्रेस सरकार प्रभावित वर्ग को आरक्षण देना नहीं चाहती। भानुप्रतापुर उपचुनाव में आरक्षण मुद्दा न बने इसलिए मुख्यमंत्री विशेष सत्र बुला रहे हैं।

15 नवम्बर को प्रदर्शन करेगा सर्व आदिवासी समाज

विदित हो कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण का मुद्दा सियासी बनता जा रहा है। आदिवासी आरक्षण 32 प्रतिशत समाप्त होने के बाद भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू है। दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू है। सर्व आदिवासी समाज इसी मुद्दे को लेकर आदिवासी विधायकों और सांसदों की चुप्पी पर अब सड़क की लड़ाई लड़ने तैयार हो गए है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिछले 19 सितम्बर को दिए गए अपने फैसले में समाज का 32 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया है, जिसे लेकर सर्व आदिवासी समाज अब15 नवंबर को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की तैयारी में है।

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