आरक्षण पर बवाल : राजभवन के 10 सवालों पर राजनीतिक बयानबाजी तेज, कांग्रेस ने कहा-बगैर विधेयक लौटाए सवाल पूछना उचित नहीं, कौशिक ने कहा-सावधानी जरूरी

आरक्षण पर बवाल : राजभवन के 10 सवालों पर राजनीतिक बयानबाजी तेज, कांग्रेस ने कहा-बगैर विधेयक लौटाए सवाल पूछना उचित नहीं, कौशिक ने कहा-सावधानी जरूरी
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पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरक्षण पर सरकार से पूछे सवाल पर कहा पूर्व में कोर्ट की स्थिति बनी थी, इसलिए सावधानी आवश्यक है। कोई ऐसे तथ्य न छूटे जिससे प्रदेशवासियों को दोबारा आरक्षण से वंचित होना पड़े।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर बवाल मचा है। संशोधित विधेयक पर राज्यपाल ने सरकार से 10 सवाल पूछे हैं। कांग्रेस ने कहा कि विधेयक को लौटाए बगैर राज्यपाल का सरकार से 10 सवाल पूछना उचित नहीं है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरक्षण पर सरकार से पूछे सवाल पर कहा पूर्व में कोर्ट की स्थिति बनी थी, इसलिए सावधानी आवश्यक है। कोई ऐसे तथ्य न छूटे जिससे प्रदेशवासियों को दोबारा आरक्षण से वंचित होना पड़े। प्रदेश के लोगों को आरक्षण निश्चित रूप से मिलेगा, हम पक्षधर है।

संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने राजभवन द्वारा पूछे गए 10 सवालों पर कहा कि, महामहिम को सारा अधिकार है, वह हमारी संवैधानिक प्रमुख है। सदन में हमने सर्वानुमति से विधेयक पारित किया है। मंत्री चौबे ने कहा -जैसा बयान डॉ. रमन या भाजपा नेता दे रहे हैं उसी प्रकार के प्रश्नों को राजभवन सरकार को प्रेषित करता है, यह उचित नहीं। उन्होंने कहा-अगर विधेयक लौटाना है तो बिंदुओं के साथ लौटाना चाहिए। विधेयक पर पुनर्विचार कराना है, तो विधानसभा को लौटाया जाना चाहिए। राज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मार्गदर्शन ले सकती हैं। हमारी मांग है जो विधेयक विशेष सत्र में पारित किया गया, उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए।

राजभवन को जितनी जानकारी देनी थी वे दी है : मंत्री चौबे

मंत्री चौबे ने कहा-राजभवन को जितनी जानकारी देनी चाहिए सभी जानकारियां दे दी गई है। न्यायालय में कौन सा मसला ठहर सकता है, इसके बारे में महामहिम को कौन जवाब दे सकता है। न्यायालय, राजभवन और राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं। न्यायालय में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे, यह पूछना लाजमी नहीं है।

मुख्यमंत्री के सहयोगी लोग ही कोर्ट गए थे : कौशिक

भाजपा विधायक दल के पूर्व नेता धरमलाल कौशिक का कहना है, भाजपा को दबाव बनाने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री की वजह से ही लोगों का आरक्षण छीना गया है। जब भाजपा की सरकार थी तो 32% आरक्षण हम लोगों ने पारित किया था। उसका लाभ भी मिल रहा था। मुख्यमंत्री के सहयोगी लोग ही उसके खिलाफ कोर्ट गये। जब कोर्ट से आरक्षण निरस्त हो गया तो उन सहयोगियों को सम्मानित करने का काम भी हुआ।

भाजपा नेताओं को आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर होने से डर क्यों लग रहा

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा, न्यायालय का फैसला आने के बाद भाजपा ने आरक्षण बहाली को लेकर राजभवन तक पैदल मार्च किया। अब जब आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं होने के चलते बहाली नहीं हो पा रही है तो भाजपा के वही नेता राजभवन जाने से क्यों डर रहे हैं। आखिर भाजपा नेताओं को आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर होने से डर क्यों लग रहा है। ठाकुर ने सवाल उठाया कि क्या भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के भाजपा नेताओं को इस आरक्षण विधेयक के खिलाफ खड़ा होने का फरमान जारी किया है?

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