संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार : देश ही नहीं, विदेश में भी दिलाई छत्तीसगढ़ की लोकगीत और संस्कृति की पहचान, तीजन बाई और ममता चंद्राकर होंगी सम्मानित

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोक संगीत की दो गायिकाओं को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इनमें से पंडवानी की विश्वविख्यात लोक गायिका तीजन बाई को राष्ट्रीय संगीत अकादमी ने संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप के लिए चुना है। वहीं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए ममता चंद्राकर को वर्ष 2019 के लिए नामित किया गया है। दोनों विभूतियों को राष्ट्रपति के हाथों ये पुरस्कार मिलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिल्ली में आयोजित होने वाले एक विशेष समारोह में देश के अन्य कलाकारों के साथ राज्य की इन दोनों विभूतियों ममता चंद्राकर और तीजन बाई को सम्मानित करेंगी।
लोक कला में विशेष योगदान के लिए लोक गायिका ममता चंद्राकर का चयन लोक कला श्रेणी वर्ष 2019 के लिए किया गया है। संगीत नाटक अवॉर्ड के रूप में ममता चंद्राकर को 1 लाख रुपए और ताम्रपत्र प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने पुरस्कारों की घोषणा की है। संगीत नाटक अकादमी ने देशभर से मिली प्रविष्टियों में से अलग-अलग श्रेणियों में 128 श्रेष्ठ कलाकारों और संगीत साधकों को पुरस्कारों के लिए चुना है। यह पुरस्कार 2019, 2020 और 2021 के लिए दिए जाएंगे। अलग-अलग राज्यों के 10 प्रख्यात कलाकारों को सूची में रखा गया है।
पद्मविभूषण से सम्मानित हो चुकीं तीजनबाई
उल्लेखनीय है कि, तीजन बाई वर्तमान में भिलाई स्थित गनियारी में निवासरत हैं। तीजनबाई को पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। फेलोशिप के लिए देशभर से 10 कलाकारों के नाम शामिल किए गए हैं। तीजन बाई को हाल ही में श्री सत्य साईं शक्ति वुमन आफ एक्सीलेंस अवार्ड-2022 से सम्मानित किया जा चुका है। पंडवानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने वाली लोक गायिका तीजन बाई का जन्म 1956 में भिलाई के गनियारी में हुआ था। पंडवानी महाभारत की कथा होती है। तीजन बाई ने मात्र 13 साल की उम्र से कथा वाचन शुरू कर दिया था। तीजन को पंडवानी गायन में पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार मिल चुका है। इन्हें हम 'कापालिक शैली' की पहली महिला पंडवानी गायिका के रूप में जानते हैं। इनका विवाह हारमोनियम वादक तुलसीराम देशमुख से हुआ है और इनके तीन बेटे-बेटियां हैं।
ममता चंद्राकर को मिल चुका है पद्मश्री
वहीं राजनांदगांव जिले के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति ममता चंद्राकर छत्तीसगढ़ की मशहूर लोक गायिका हैं। छत्तीसगढ़ के राज्य गीत 'अरपा पैरी के धार' को गायिका ममता चंद्राकर ने स्वर दिया है। ममता चंद्राकर वर्तमान में राजनांदगांव जिले में निवासरत हैं। उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। ममता चंद्राकर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, उनकी और उनके माता-पिता की तपस्या पूरी हुई है। उनका सपना साकार हुआ है, जिसके लिए वे बेहत खुश हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई लाल राम कुमार सिंह को भी अपनी सफलता का श्रेय दिया है। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार का मिलना उनके लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है। ममता चंद्राकर के पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर भी लोककला के संरक्षक थे। ममता को घर में ही लोक कला का माहौल मिला है। पिता और बड़े भाई के सहयोग से वे लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। उनके पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। ममता चंद्राकर भी बचपन से ही लोकगीतों के लिए समर्पित रही हैं। उनके गाए हुए सुआ, गौरा गौरी, बिहाव, ददरिया बहुत मशहूर हैं। चंद्राकर आकाशवाणी केन्द्र रायपुर में बतौर निदेशक भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। देखिए वीडियो-
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