Savan Somwar: छत्तीसगढ़ के प्रयागराज में मौजूद हैं भगवान कुलेश्वर महादेव, उमड़ा भक्तों का सैलाब

सोमा शर्मा-राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज (prayagraj of chhattisgarh) के नाम से प्रसिद्ध राजिम (rajim) शिव नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भगवान भोलेनाथ कुलेश्वर महादेव (kuleshavar mahadev) के रूप में स्थापित हैं। पूरे साल यहां शिव भक्तों (shiva devotees)का तांता लगा रहता है। इस साल भी पूजा-अर्चना के लिए बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचे हैं।
बता दें कि, राजिम भक्ति और आस्था का केंद्र है। यहां पर महानदी, पैरी और सोंढुर का त्रिवेणी संगम (triveni sangam) है। इसी संगम के बीच स्थित हैं कुलेश्वर महादेव। आस-पास अन्य शिवालय क्रमशः पटेश्वर, चंपेश्वर, कोपेश्वर, फिंगेश्वर, फणींकेश्वर महादेव मंदिर भी हैं। इस वजह से ही इस स्थान को पंचकोशी धाम (panchkoshi dham) भी कहा जाता है। पंचकोशी धाम यात्रा की शुरूआत त्रिवेणी संगम के जल से कुलेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर किया जाता है।
रामायण से जुड़ा है मंदिर का महत्व
आठवीं शताब्दी में बनाए गए इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, यहां पर वनवास के दौरान माता सीता (mother sita) ने रेत का शिवलिंग (shivalinga) बनाकर पूजा करती थीं। यहां पर इसके कई साक्ष्य भी मिले हैं। शिवरात्रि के 15 दिन पहले यहां पर माघ पुन्नी मेला (magh punni mela) का आयोजन भी किया जाता है। पुन्नी मेले को देश के पांचवे कुंभ के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान देश भर से साधु-संत और श्रद्धालु यहां पर दर्शन के लिए आते हैं।
यहां पर बनाया गया लक्ष्मण झूला
बरसात के मौसम में नदियों के उफान पर होने से भक्तजन यहां पर नहीं पहुंच पाते थे, इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ही गत वर्ष शासन-प्रशासन ने लक्ष्मण झूला (laxman jhula) बनवाया। यह लक्ष्मण झूला राजिम के राजीव लोचन (rajiv lochan), नवापारा (nawapara) और लोमस ऋषि आश्रम को कुलेश्वर मंदिर (kuleshwar mahadev) से जोड़ता है। हर साल सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
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