कन्या विवाह के सरकारी दहेज में घोटाला, अफसर खा गए पोषण आहार का चना, जांच में खुलासा

रायपुर. महासमुंद जिले में रेडी-टू-ईट वितरण और मुख्यमंत्री कन्या विवाह में 30 लाख की गड़बड़ी का मामला पुष्ट हो गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग की जांच समिति ने दो वर्षाें के दौरान सामग्री खरीदी और रेडी-टू-ईट के वितरण में अनियमितता की पड़ताल के बाद शासन को प्रतिवेदन साैंप दिया है। विभागीय सचिव ने मामले में दोषी पाए गए लोगों से जवाब मांगा है। उनका जवाब आने के बाद तथ्यों की समीक्षा कर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है, रेडी टू ईट और कन्या विवाह योजना समेत विभाग में गड़बड़ी की शिकायत करते हुए खुद जिला महिला बाल विकास अधिकारी अनशन पर बैठ गए थे। उनका कहना था कि शिकायतों की जांच में आरोप साबित होने के बावजूद दोषी शासकीय कर्मी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह जांच उनके स्तर पर की गई थी। शासकीय अधिकारी के इस अनशन ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। मामला उछलने के बाद शासन ने संचालक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। समिति ने मिली शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की। इसमें जिला महिला बाल विकास अधिकारी द्वारा की गई जांच का प्रतिवेदन देखा गया। हितग्राहियों के पूर्व में दिए गए बयान और अन्य तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि यहां बड़े पैमाने में गड़बड़ी हुई है। मामले में जिले के बाल विकास परियोजना अधिकारी और अन्य लोगों पर गड़बड़ी करने का आरोप है।
ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांटी
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत उपहार सामग्री क्रय की गई। 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई। सामग्री की कीमत 12 हजार से अधिक बताई गई, जबकि बाजार में उस सामग्री की कीमत लगभग 7 हजार रुपए है। दोनों वर्षाें में 10-10 लाख की गड़बड़ी सामने आई है।
दोषी लोगों से मांगा जवाब : कंगाले
महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा कंगाले ने कहा कि समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। गड़बड़ी के जो तथ्य बताए गए हैं, उसके अनुसार जवाब का परीक्षण कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
घटिया रेडी-टू-ईट का वितरण
महासमुंद ब्लॉक के 15 सेक्टरों में वितरित रेडी-टू-ईट में 11 सेक्टरों में गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट फूड वितरण में चना की जगह गेहूं की मात्रा अधिक होने की शिकायत मिली थी। रेडी-टू-ईट में लगभग 10 लाख की गड़बड़ी सामने आई है। इसकी जांच के बाद प्रतिवेदन उच्च अधिकारी को पूर्व में जिला अधिकारी ने दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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