रूरल मोबाइल मेडिकल यूनिट में घोटाला, पुरानी गाड़ियों में फर्जी डाॅक्टर कर रहे इलाज

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में रहने वालों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण चलित चिकित्सा इकाइयों (आरएमएमयू) में गंभीर गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। जांच रिपोर्ट से साफ हुआ है कि सेवा प्रदाता एजेंसी ने पुराने वाहनों का उपयोग किया। मोबाइल यूनिट में जिन लोगों को डाक्टर बनाकर रखा गया उनके पास डिग्रियां नहीं हैं। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि एजेंसी और अफसरों की मिलीभगत से लंबे समय तक गड़बड़ियां चलती रहीं।
दरअसल इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव से की गई थी। शिकायत कर्ता संजय तिवारी थे। इसके साथ ही उन्होंने वह जांच प्रतिवेदन भी पेश किया है जिसे संचालक स्वास्थ्य सेवाएं इंद्रावती भवन नया रायपुर ने तैयार किया है।
ये है मामला
2018 में यह योजना प्रारंभ की गई थी। प्रदेश शासन ने ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों में रहने वालों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 30 ग्रामीण चलित चिकित्सा इकाईयां शुरु की थीं। इससे पहले भी यह योजना चल रही थी लेकिन उस समय क्रियान्वयन में गड़बड़ी के मामले में संबंधित एजेंसी को हटा दिया गया था। उसके स्थान पर जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड कंसोर्टियम सम्मान फांउंडेशन को सेवा प्रदाता बनाया गया था। यह पूरा मामला इसी कंपनी के माध्यम से किया गया।
इस मामले की शिकायत के बाद जांच का काम संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा राज्य नोडल अधिकारी स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ को दिया गया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सेवा प्रदाता फर्म जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज कंसोरटियम सम्मान फांउडेशन द्वारा अनुबंध में उल्लेखित सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन कर कार्य में लापरवाही करते हुए सेवा नियमों को दरकिनार कर इरादतन गंभीर आर्थिक अनियमितता की गई है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा प्रदाता को नए वाहनों के साथ सेवा शुरु करनी थी लेकिन पुराने वाहन चलाए गए।
पूछा तो बताया-वाहन दुर्घटनाग्रस्त
इस बार में पूछे जाने पर सेवा प्रदाता ने बताया कि 6 वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे, इसलिए पुराने चलाए गए। लेकिन इस बारे में कोई दस्तावेज नहीं दिए गए। जवाब को संदेहजनक माना गया है। सेवा प्रदाता ने जिन डॉक्टरों को मोबाइल यूनिट में काम करने वाला बताया था उनके शैक्षिणिक दस्तावेज मांगे जाने पर दूसरे डॉक्टर के दस्तावेज दिए गए। यानि नाम किसी का काम कोई और कर रहा था। जांच रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि गंभीर आर्थिक अनियमितताएं की गई हैं।
ऐसी-ऐसी गड़बड़ी
1. वाहनों को गांव से दस किलोमीटर तक दूर ले जाना था। जीपीएस रिपोर्ट में पाया गया कि वाहनों को गांव के आसपास ही रखा जाता था। वाहन ज्यादा दूर मूव नहीं हुए।
2. वाहनों में डाक्टरों को रखा जाना था। जब जांच के दौरान एक डाक्टर मनोज कश्यप से उसका सर्टिफिकेट मांगा गया तो उसने डा. जगन्नाथ पटेल का सर्टिफिकेट दिया दिया। ऐसे कई केस हुए।
3. डा. शिवानी राव के स्थान पर एक दंत चिकित्सक माधुरी ठाकुर को रख दिया था। माधुरी से जब दस्तोवज मांगे गए तो उसने नहीं दिए। इसी तरह प्रज्ञा वर्मा के नाम पर डा. नीतू काम कर रही थी। उसे दस्तावेज मांगे तो प्रमाण नहीं दिए गए।
4. ज्यादातर गाड़ियां पुरानी पाई गईं। पूछने पर एजेंसी ने बताया कि कुछ वाहनों का एक्सीडेंट हो गया था। उसकी वजह से उनकी जगह पुरानी गाड़ियां लगाई गईं। जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। हमें जांच रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। पूरी जांच रिपोर्ट देखने के बाद ही कोई टिप्पणी की जा सकेगी।
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