Chhattisgarh: बिलासपुर में टीचर्स पोस्टिंग में घोटाला, जॉइंट डायरेक्टर और क्लर्क सस्पेंड

Chhattisgarh: बिलासपुर में टीचर्स पोस्टिंग में घोटाला, जॉइंट डायरेक्टर और क्लर्क सस्पेंड
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में शिक्षा विभाग (Education Department) में पदस्थापना के बाद संशोधन के नाम पर धांधली हुई है। बता दें कि संयुक्त निदेशक (Joint Director) ने नियमों को ताक पर रखते हुए 778 शिक्षकों को मनचाही जगह पर ज्वाइनिंग (Joining) करा दी थी। पढ़ें पूरी खबर...

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में शिक्षा विभाग में पदोन्नति के बाद संशोधन के नाम पर धांधली हुई है। इसमें संयुक्त निदेशक (Joint Director) और विभाग के बाबुओं ने नियमों को रखते हुए 778 शिक्षकों को मनचाही जगह पर ज्वाइनिंग (Joining) करा दी थी। मामले की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) से की गई है। जब मामले की जांच की गई, तो शिक्षा विभाग को 778 शिक्षकों की पदस्थापना में संशोधन की जानकारी मिली है। इसके बाद शासन शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर सचिव आरपी वर्मा ने बिलासपुर संभाग के प्रभारी संयुक्त संचालक शिक्षा एसके प्रसाद और सहायक ग्रेड-2 विकास तिवारी को निलंबित कर दिया है।

हाईकोर्ट (High Court) से स्टे हटने के बाद बिलासपुर संभाग के 5500 से अधिक सहायक शिक्षकों को शिक्षक और प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति की जानी थी। इसकी प्रक्रिया 27 अप्रैल से काउंसिलिंग के माध्यम से शुरू हुई थी। 9 मई और 12 मई तक ई-संवर्ग के शिक्षकों की काउंसलिंग हुई। 13 मई से शिक्षकों के दिए गए स्थानों पर संशोधन का खेल शुरू हुआ। संयुक्त संचालक शिक्षा एसके प्रसाद के साथ विभाग के बाबुओं ने 778 शिक्षकों से लेन-देन करने की काउंसलिंग के दौरान मिले हुए स्थान में संशोधन के आदेश जारी कर दिया है।

सीएम बघेल से शिकायत के बाद हुई जांच

पदोन्नति के बाद संशोधन में गड़बड़ी की शिकायत कुछ पीड़ित शिक्षक और कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) से की, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच करने के आदेश दिए। इसकी जिम्मेदारी संभायुक्त भीम सिंह को दी गई। उन्होंने एडीएम आर कुरुवंशी, संभागीय उप कमिश्नर अर्चना मिश्रा और ट्रेजरी के अफसर की टीम बनाकर जांच शुरू कराई।

काउंसिलिंग के दौरान पदों को छिपाया

शिक्षकों की काउंसिलिंग (Teachers Counseling) के दौरान अफसरों ने कई जगह के पदों को छिपा भी दिया था। इसे लेकर शिक्षकों ने जमकर हंगामा भी किया था। विधानसभा में शिक्षा विभाग ने जानकारी भेजते हुए खुद माना है कि इसमें गड़बड़ी हुई है। उन्होंने जवाब में कहा है कि 468 पदों की काउंसिलिंग में खाली पद नहीं दिखाया गया था, लेकिन बाद में संशोधन के दौरान इन पदों पर शिक्षकों को पदोन्नति का आदेश दिया गया है। उत्तर में यह भी कहा गया है कि ई-संवर्ग में 394 विज्ञान, 497 गणित और 373 अंग्रेजी के सहायक शिक्षक को शिक्षक पदोन्नत किया है। टी- संवर्ग में 214 गणित, 314 अंग्रेजी और 130 विज्ञान शिक्षकों को पदोन्नत किया, इसमें 185 पदों पर संशोधन आदेश निकाला गया है।

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इस तरह संशोधन का खेला गया था खेल

विभागीय शिक्षक (Departmental Teacher) पदोन्नति के दौरान संशोधन का खेल करने के लिए अफसरों ने पहले ही पूरी तैयारी कर ली थी। पहले तो काउंसिलिंग के दौरान शहरी क्षेत्र के पदों को छिपा दिया गया। उसके बाद बिलासपुर के शिक्षकों को जांजगीर-चांपा, कोरबा और रायगढ़ के क्षेत्र में भेज दिया बाद में इन्हीं शिक्षकों को संशोधन आदेश देने के नाम पर लेनदेन शुरू करते हुए शहर के आस-पास के स्थान में ज्वाइनिंग आदेश दे दिया गया। कमाई के लिए ज्वाइनिंग की तिथि को तीन बार बदला गया। इसमें शिक्षा विभाग के बाबू विकास तिवारी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। पहली नजर में ही जांच में सारा खुलासा हो गया है। इस आधार पर संयुक्त संचालक एसके प्रसाद को निलंबित करते हुए निलंबन अवधि में मुख्यालय लोक शिक्षण संचालनालय किया गया है। इसी तरह सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी को निलंबित कर रायपुर संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय मुख्यालय दिया गया है।

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