CG News : इस जिले के बच्चों का भविष्य अधर में…बिना गुरु के स्कूली बच्चे पढ़ने को मजबूर…सेटिंग के जरिए चल रहा बड़ा खेल...

आशीष कुमार गुप्ता/बतौली/सेदम न्यूज- छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक ऐसा स्कूल है, जहां पर शिक्षक शासकीय अवकाश लेकर घर में बैठे हुए हैं। बच्चों की बात की जाए तो वे स्कूल पहुंचकर भोजन करते हैं और घर वापस चले जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और शिक्षा विभाग के प्रति नाराजगी जाहिर की है।
ताजा मामला सरगुजा जिले के विकासखंड बतौली अंतर्गत प्राथमिक शाला नयाबांध विरिमकेला का है। जहां प्राथमिक शाला में पदस्त दो शिक्षिकाएं और एक प्रधान पाठक है। कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक कुल 27 बच्चे यहां पढ़ते हैं। इन 27 बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने के स्कूल नहीं जाते है।
अवकाश पर शिक्षक...
शिक्षिका तुलसी गुप्ता स्कूल आती हैं। लेकिन अपने 6 साल के बच्चे के पालन पोषण के लिए 1 महीने की अवकाश में चली गई। जबकि दूसरी शिक्षिका किरण गुप्ता जो प्रभारी प्रधान पाठक भी है। वो डेढ़ महीने से अवकाश पर है।
कानून की खुलेआम उड़ रही धज्जियां...
विकासखंड बतौली में शिक्षा के अधिकार कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकारियों से पहुंच के दम पर शिशुवती माता नहीं होने पर भी अवकाश पर चले जाते हैं। जबकि प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक के नियम अनुसार बालक छात्रावास अधीक्षक पद में पदस्थ नहीं किया जा सकता, फिर भी शिक्षक सेटिंग के दम पर छात्रावास आश्रमों में अधीक्षक बनकर बैठे हुए हैं।
माध्यमिक शाला में अटैच किया गया...
यह मामला संज्ञान में आने पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने प्राथमिक शाला नया बांध के 27 बच्चों को माध्यमिक शाला में अटैच कर दिया है। अपने आप का बचाव करने के लिए बच्चों को तो अटैच कर दिया गया। लेकिन इन भोले-भाले मासूम बच्चों को पढ़ाएगा कौन, सवाल यह उठता है कि विकासखंड के बाकी स्कूलों में ही अतिरिक्त शिक्षक कम बच्चों पर ही स्कूल में जड़े हुए हैं। जबकि विकासखंड के कई स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।
छुट्टी लेने का प्रावधान दिया गया...
इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी शरद चंद्र मेस्पाल ने बताया कि, महिला शिक्षकों की छुट्टी का आवेदन लिया जाता है। जिन्हें शासन ने मातृत्व अवकाश यानी अपने बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी लेने का प्रावधान दिया है। साथ ही कहा कि, जल्द ही शिक्षकों की कमी पूरी की जाएग। यहां के प्रधान पाठक का अधीक्षक बड़े अधिकारियों के आदेश पर ही संभव हुआ है। जिसमें मैं कुछ नहीं कर सकता।
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