11 सालों में जितने आबकारी अफसरों का तबादला, उनकी कुंडली खंगालेगी सात टीमें

रायपुर। आबकारी विभाग में डिस्टलरी के जिम्मेदार अफसरों के साथ प्रदेश में शराब के अवैध कारोबार का बड़ा खेल हुआ है। जिलों में आयुक्त और उपायुक्त रहकर अफसरों ने सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया है। इन्हीं बिंदुओं पर अब ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने छानबीन शुरू कर दी है। करीबी सूत्र का दावा है कि छह से सात स्पेशल टीमें बनाकर 11 साल पुराने अफसरों की भूमिका की जांच चल रही है। पिछली सरकार में जिन अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी, अब उन्हें नोटिस देकर बयानों की तस्दीक की जा रही है। बुधवार को छह से सात आबकारी अफसरों से पूछताछ किया गया है। हालांकि ईओडब्ल्यू की ओर से किसी भी अफसरों को लेकर कोई भी अधिकृत बयान नहीं दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक पिछली सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग के अफसरों ने डिस्टलरी वालों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। फैक्ट्री से बिना आमद के निकली शराब को सीधे दुकानों में पहुंचाकर बेचा गया है। नियमानुसार फैक्ट्री से शराब सरकारी वेयरहाउस में जानी चाहिए थी वहां से आमद के साथ मांग के अनुसार स्टॉक दुकानों में भेजा जाना था, लेकिन आबकारी के सारे नियमों को दरकिनार करते हुए अफसरों ने कारोबार का संचालन किया। अब तमाम बिंदुओं पर जांच के लिए ईओडब्ल्यू की ओर से रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, मुंगेली समेत सभी जिलों के पुराने अफसरों को तलब किया गया है।
विभागीय स्तर की जांच में नहीं पकड़ी गड़बड़ी
करीबी सूत्र के मुताबिक ईडी की बड़ी कार्रवाई के बाद राज्य शासन ने आबकारी विभाग को जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन जिला स्तर पर जांच के बाद कभी भी रिपोर्ट उजागर नहीं की गई। बताया जा रहा है कि विभागीय स्तर पर मामला दबा दिया गया। अब जांच करने वाले अफसरों से भी पूछताछ की तैयारी है। आबकारी विभाग ने जांच करते हुए अधिकारियों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया था, अब उनकी रिपोर्ट भी मांगी जा रही है।
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