शिव कथा महापुराण : पं. प्रदीप मिश्रा बोले- लोगों के आश्रित होने के बजाय भगवान के आश्रित होइए सारे दुःख आपके अच्छे कर्म ही दूर करेंगे

शिव कथा महापुराण : पं. प्रदीप मिश्रा बोले- लोगों के आश्रित होने के बजाय भगवान के आश्रित होइए सारे दुःख आपके अच्छे कर्म ही दूर करेंगे
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आपका दुःख, तकलीफ, कर्म आपका है, उसे खुद आपको सुधार करना है। भगवान शिव के शरण में जाइये। आपका कर्म और भगवान की भक्ति ही आपका दुःख दूर करेंगे। कर्म करिए, भक्ति कीजिए, लोगों के आश्रित होने के बजाय भगवान के आश्रित होइए सारे दुःख आपके अच्छे कर्म ही दूर करेंगे। पं. मिश्रा ने और क्या कहा... पढ़िए...

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। प्रख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के शिव कथा महापुराण का आज छठा दिन था। पं. मिश्रा ने आज लाखों श्रोताओं को संबोधित अपनी कथा में कहा कि, व्यासपीठ से हमने कभी नहीं कहा कि घर परिवार छोड़ दो और किसी तीर्थ में जाकर ईश्वर पूजा करो। आप किसी भी ईश्वर को मानो, पूजो बल्कि हमने हमेशा कहा है कि काम करिए, मेहनत कीजिए, घर संभालिए और अपने दायित्व की पूर्ति कीजिए। अपने परिवार के साथ रहकर रोज भगवान शिव को एक लोटा जल और शिव तत्व अर्पण कीजिए।

अपनी तकलीफ किसी को भी न बताएं

पं. मिश्रा ने कहा, एक बात जीवन में उतार लीजिए कि दुख, तकलीफ, समस्या आपका है। आपके दुःख को दूर करने का सामर्थ्य किसी भी व्यक्ति में नहीं है। जब आप दुःखी हैं घर पर रो लीजिए, पर दरवाजे पर कोई आये तो उनसे अपनी तकलीफ न बताएं। क्योंकि वो आपके तकलीफ को जानकर आपका फायदा उठा सकता है। आपका दुःख, तकलीफ, कर्म आपका है, उसे खुद आपको सुधार करना है। भगवान शिव के शरण में जाइये। आपका कर्म और भगवान की भक्ति ही आपका दुःख दूर करेंगे। कर्म करिए, भक्ति कीजिए, लोगों के आश्रित होने के बजाय भगवान के आश्रित होइए सारे दुःख आपके अच्छे कर्म ही दूर करेंगे। आपके अच्छे कर्म के कारण आप अच्छा जीवन जी रहे हैं... बुरे कर्म के कारण फल प्राप्त कर रहे हैं। भगवान शिव को एक लोटा जल चढ़ाइए वो आपको अच्छे फल देंगे। देखिए वीडियो-

कभी भी किसी का उपहास नहीं करना चाहिए

संत शिरोमणि गुरु नानक देव जी ने कहा कि परमात्मा सब जगह है पर उनको देखने की दृष्टि एक गुरु ही दे सकता है। इसलिए जीवन में गुरु की महत्ता स्वीकार कीजिये। गुरु ईश्वर का स्वरूप है, जो जीवन में आपके दर्पण का काम करेंगे। सनातन धर्म कहता है कि, कभी भी किसी का उपहास नहीं करना चाहिए, किसी भी धर्म-सम्प्रदाय की आलोचना न करें। सभी को अपना दुःख बड़ा लगता है, अपना कर्म अच्छा और दूसरे का कर्म बुरा और छोटा लगता है। समय की अवस्था जब बदलती है तो वो सब सिखा जाता है। समय सबसे अच्छा गुरु, शिष्य और सबक है। इसलिए जब मंदिर जाओ शिवालय जाओ तो सभी के सुख की कामना करें।

जीवन में पिता सबसे बड़ी पूंजी

पिता जैसी पूंजी जीवन में नहीं हो सकती, पिता सन्तान की सबसे बड़ी पूंजी है, जिस पिता ने अपना भोजन और इच्छा को संतान के लिए सीमित कर दिया, उनसे बड़ा कोई नहीं है। इसलिए अपने माता- पिता का सम्मान कीजिए। क्योंकि माता-पिता की अनुपस्थिति आपको अहसास कराएगा कि आपने क्या खोया। माता-पिता की उपस्थिति की महत्ता स्वीकार कीजिए, उनकी सेवा ही प्रभु सेवा है। गुरु, माता पिता का अपमान न करें, ज्ञान का अहंकार न करें। भोलेनाथ माता पिता, गुरु और शिवभक्त का अपमान सहन नहीं करते। अगर कोई एक व्यक्ति गलती करता है उसे देखो, बताओ, समझाओ पर जब सभी व्यक्ति में कमी दिखाई दे, गलती दिखाई दे तो अपने आप को देखने की समझने की जरूरत है। आयोजन परिवार एवं समिति के बेहतर व्यवस्था के लगातार प्रयासो एवं पुलिस प्रशासन चाक चौबंद व्यवस्था से श्रद्धालुओं द्वारा सराहना की गई।


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