धर्मस्थल भी आईटी के दायरे में, 50 हजार आमदनी वालों को कराना होगा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

धर्मस्थल भी आईटी के दायरे में, 50 हजार आमदनी वालों को कराना होगा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
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नए वित्तीय वर्ष में सभी धार्मिक स्थलों को कराना होगा ऑनलाइन पंजीयन, आय-व्यय में गड़बड़ी मिलने पर आयकर विभाग धार्मिक स्थलों में सर्च के साथ सर्वे की कार्रवाई कर सकता है। पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। नए वित्तीय वर्ष 2021-22 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आदेश पर धार्मिक संस्थान तथा धर्मार्थ संगठनों को अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले धार्मिक संस्थानों पर दबिश देकर आयकर विभाग सर्वे के साथ सर्च की कार्रवाई कर सकता है। साथ ही दान में मिली राशि पर 35 प्रतिशत टैक्स वसूल करेगा।

आयकर बार एसोसिएशन एवं सीए इंस्टिट्यूट रायपुर के पूर्व अध्यक्ष सीए चेतन तरवानी के मुताबिक पूर्व से ही धार्मिक तथा धर्मार्थ संस्थानों आईटी एक्ट 12-एए के तहत पंजीयन कराते थे। पूर्व में रजिस्ट्रेशन आजीवन होता था। नए नियम के मुताबिक ऐसे धार्मिक तथा धर्मार्थ संस्थान जिनकी वार्षिक आय 50 हजार रुपए है, उन्हें आईटी एक्ट की धारा 12-एबी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। अब रजिस्ट्रेशन तीन वर्ष के लिए होगा। साथ ही धार्मिक संस्थानों को पैन कार्ड की तरह नंबर आबंटित किए जाएंगे। साथ ही धर्मार्थ और धार्मिक संगठनों को जिनकी आय चढ़ावा के साथ किसी अन्य रूप में 50 हजार से ज्यादा है, उन्हें आयकर विभाग को आय-व्यय का ब्योरा देना होगा।

दस्तावेज से मिलेगी मुक्ति

पूर्व में जिन संगठनों ने आयकर विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था, नए नियम के मुताबिक उन्हें फिर से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा। जिन संस्थानों का वर्षों पुराना रजिस्ट्रेशन था, अगर उनका रजिस्ट्रेशन कागज गुम हो गया, उस स्थिति में संबंधित संस्थान का रजिस्ट्रेशन कागज ढूंढने में आयकर विभाग को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने से आयकर विभाग के पास संबंधित धार्मिक संगठन की वित्तीय स्थिति की जानकारी एक क्लिक पर मिल सकती है।

इस स्थिति में रकम बदलवाने में छूट

अलग-अलग धार्मिक स्थलों की चढ़ावा पेटी में चढ़ावा के रूप में मिलने वाली रकम का हिसाब संबंधित संस्थान को देने की छूट रहेगी। इसकी वजह संस्थानों को मालूम नहीं होता है कि दान पेटी में किस व्यक्ति ने कितना पैसा डाला है, इसलिए उन्हें स्रोत बताने की प्रक्रिया से छूट दी गई है। साथ ही इनकी रकम बदलवाने के लिए कोई सीमा नहीं है।

ट्रस्ट को नहीं मिलेगी छूट

नए नियम के मुताबिक छूट केवल चढ़ाए गए पैसों पर मिलेगी। यदि धार्मिक संस्थान को कोई ट्रस्ट चलाता है या उससे जुड़ा हुआ कोई ट्रस्ट या संस्था है, तो वो इंकम टैक्स विभाग की प्रक्रिया के दायरे में आएंगे। ट्रस्ट या संस्था द्वारा दान के तौर पर ली जाने वाली राशि का हिसाब होता है। ट्रस्ट बाकायादा दान देने वाले की जानकारी लेकर स्लिप देता है। उनका रिकॉर्ड अपने पास रखता है। इस वजह से ऐसे ट्रस्टों को दान देने वाले व्यक्ति का ब्योरा बैंक को देना होगा। इंकम टैक्स उनसे जानकारी ले सकता है। हालांकि ट्रस्ट द्वारा दी गई जानकारी सही पाई गई, तो पैनल्टी नहीं देनी होगी।

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