आदिवासी महिलाओं-बच्चों की मौत पर नेताम की बात सिंहदेव ने स्वीकारी : कहा- जो बातें उठाई गईं उनपर ध्यान देने की जरूरत, आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के डाटा बैंक से लिये गए

रायपुर। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने अपने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब से बुधवार को राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने राज्य के आदिवासी इलाकों में महिलाओं और बच्चों की मौत के आंकड़े रखे थे। जैसे ही श्री नेताम की बातें मीडिया में आईं सरकार के प्रवक्ता रविन्द्र चौबे ने आंकड़ों को झूठा बता दिया था। लेकिन अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस मामले को नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने कहा है कि ये आंकड़े राज्य के स्वास्थ्य विभाग के डाटा बैंक से लिये गए हैं। उन्होंने कहा कि वह हमारे पास मौजूद 3 सालों के आंकड़े हैं। श्री सिंहदेव ने आगे कहा- हम सबका ध्यान दिलाने के लिए राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम का धन्यवाद...। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भौगोलिक स्थिति की वजह से मैदानी इलाकों की तुलना में दूरस्थ अँचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। श्री नेताम जी ने जो बातें उठाई हैं, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
क्या कहा था नेताम ने
श्री नेताम ने पिछले तीन साल में आदिवासी बच्चों की मौतों का आंकड़ा पेश करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। छत्तीसगढ़ में बीते 3 वर्ष में 25 हजार 164 आदिवासी बच्चों की मौत और 955 आदिवासी गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। दरअसल आदिवासी महिलाओं, नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का यह मामला 8 फरवरी को राज्य सभा में उठा था। बीजेपी के आदिवासी नेता और छत्तीसगढ़ से राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने छत्तीसगढ़ की जनजातीय महिलाओं और बच्चों की कुपोषण और अन्य बीमारियों के कारण हुई मृत्यु के मामलों की जानकारी मांगी थी। इस सवाल के जबाव में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में बीते 3 साल में आदिवासी महिलाओं और बच्चों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य और आंशिक रूप से आदिवासी बाहुल्य जिलों में 25 हजार 164 बच्चों की मौत हुई है। वहीं 955 गर्भवती महिलाओं की भी मौत हुई है। इसी को आज रायपुर में उठाते हुए श्री नेताम ने कहा कि इस ओर मुख्यमंत्री का जरा सा भी ध्यान नहीं है। वे तो केवल अपनी कुर्सी को कैसे बचाएं, इसी में लगे रहते हैं। इतने खराब हालात छत्तीसगढ़ में आज तक नहीं देखा गया। श्री नेताम ने कहा आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उनहोंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि साल 2018 में 3, 290 बच्चों की मौत हुई है। 2018 - 19 में कुल 6448 मौतें हुईं। 2019-2020 में 7406 मौतें हुईं। उनहोंने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदेश सरकार का विषय है, लेकिन फिर भी भारत सरकार इसमें मदद कर रही है। उनहोंने ये भी कहा कि आदिवासी महिलाओं की भी सर्वाधिक मौत हो रही है- 2019-20 में 304, 2020- 2021 : 314 मौतें हुईं। आंकड़े पेश करते हुए श्री नेताम ने कहा कि महिलाओं की सर्वाधिक मौतें राजनांदगांव जिले में हुई हैं। केंद्र सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये की रकम राज्य सरकार को देती है, फिर भी राज्य सरकार को इन आदिवासियों की चिंता नहीं है। उन्होंने राज्य सरकार से ऐसे मृतकों को म़आवजा देने की भी मांग की।
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