नहीं बचा पाए साइकिल ट्रैक, 14 जगहों पर अब स्मार्ट रोड का प्रोजेक्ट लटका

राजधानी रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाने कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम तो चल रहा है, लेकिन शहर की तस्वीर बदलने किए गए तरह-तरह के प्रयोग ने योजनाओं का कबाड़ा कर दिया है। स्मार्ट सिटी सड़क की प्लानिंग लटकी पड़ी है वहीं साइकिल ट्रैक बिछाने के पीछे लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं। लोगों को साइकिलिंग से जोड़कर उनके लिए अलग से ट्रैक बनाने नगर निगम-स्मार्ट सिटी लिमिटेड की प्लानिंग फेल हो गई है।
अब शहर में स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा संशय है। स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने दो करोड़ रुपए की लागत से राजधानी को स्मार्ट व प्रदूषण रहित बनाने के लिए आंबेडकर चौक से गांधी उद्यान तक और मोतीबाग गार्डन में साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया था। निर्माण पर रकम तो खर्च कर दी लेकिन अधिकारी इसकी देखभाल करना भूल गए।
परिणाम यह रहा कि तीन-चार साल में दोनों साइकिल ट्रैक बदहाल हो गए। कई जगहों की रेलिंग उखाड़ दी गई, लेकिन प्रबंधन ने इसकी सुध भी नहीं ली। स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंधक तकनीकी एसके सुंदरानी ने बताया है कि निर्माण कार्य अब जोन को सौंपे गए हैं। उस हिसाब से कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
नागपुर की कंपनी को दिया ठेका
आंबेडकर चौक से गांधी उद्यान तक एक करोड़ 15 लाख रुपए की लागत से साइकिल ट्रैक का निर्माण करने के लिए स्मार्ट सिटी ने नागपुर की एक कंपनी को 24 जून 2017 को ठेका दिया था। ठेका एजेंसी ने मुख्य सड़क के किनारे महज लोहे के खंभे लगा दिए और सड़क को कई कलर में पेंट पुतवाकर बता दिया कि साइकिल ट्रैक का निर्माण कार्य पूरा हो गया। स्मार्ट सिटी के अधिकारी ठेका एजेंसी को बिल का भुगतान जारी करने के बाद साइकिल ट्रैक को भूल गए।
साइकिल ट्रैक के लिए तय लक्ष्य
साइकिल ट्रैक निर्माण के संबंध में अफसरों का कहना है, शहर के वातावरण को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए साइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक माह की तीन तारीख को नो व्हीकल डे मनाए जाने की घोषणा के बीच व्यवस्था सुनिश्चित करने करने निर्देश दिया गया है। निगम ने शुरुआती दिनों में नो व्हीकल डे मनाना शुरू किया था लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया।
रोड बनाने में पिछड़ा लिमिटेड
शहर की 14 सड़कों पर स्मार्ट रोड बनाने की योजना प्रस्तावित है। पुरानी सड़कों का नए सिरे से जीर्णोद्धार करने के साथ किनारे पर रेनोवेशन के काम के लिए करोड़ों रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। इस पर सहमति भी बनी है लेकिन दो साल में यह काम कहीं भी शुरू नहीं हो पाया है।
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