बेच दी कोटवारी की 135 एकड़ जमीन, 513 गांवों मे जांच, रद्द होगी रजिस्ट्री

मनीष बाघ. रायपुर. सेवा भूमि के नाम पर कोटवारों के हिस्से में चढ़ाई गई जमीनों की इस तरह से सौदेबाजी हुई है कि स्थिति देख जिला प्रशासन भी हक्का-बक्का है। जिले की सभी तहसील में मौजूद हल्का पटवारी संख्या में दर्ज जमीन की बंदरबाट करते हुए सरकारी खाते से करीब 135 एकड़ जमीन दूसरों को बेच दी गई है। कोटवारी जमीन के निजी भूस्वामियों की बड़ी रिपोर्ट उजागर होने के बाद अमला हरकत में आया है, 513 ग्रामों में जांच के आदेश दिए गए हैं। हाईकोर्ट के एक आदेश जारी करने के बाद प्रशासन ने पूर्व में कोटवारी जमीन के लिए कराए गए पंजीयन को निरस्त करने प्रक्रिया अपनाई है।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में मालूम हुआ है, जिले की सभी चारों तहसीलों में कोटवारी जमीनें बेची गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सेवाभूमि का जो मूल रकबा करीब 1903 एकड़ का है, इसमें से कोटवारों ने खुद को भूस्वामी मानते हुए 135 एकड़ जमीन बेच दी है। अफसरों के मुताबिक सेवा भूमि को नियमतया नहीं बेचा जा सकता। सामने आ रही रिपोर्ट के बाद गांवों में जांच की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है, जिसमें 350 से ज्यादा कोटवारों के नाम आवंटित भूमि का विवरण जांच के दायरे में शामिल होना तय है। अफसरों का कहना है, कोटवारों ने कुछ नियमों का हवाला देकर शासकीय भूमि का निजीकरण किया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद रजिस्टर्ड जमीनों को वापस शासकीय खाते में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कलेक्टर डॉ एस. भारतीदासन ने सभी राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं।
गांव शहर में बदले, बड़ी-बड़ी इमारतें भी
2003 में कोटवारों ने हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर खुद को भू स्वामी बताते हुए जमीनें दूसरों को बेची थीं। सेवा भूमि के खाते में शासन की ओर से आवंटित भूमि गांवों में शामिल थी, लेकिन अब यही जमीनें शहर के पॉश इलाकों में तब्दील हो गई हैं। दुबे कॉलोनी, हीरापुर, विधानसभा, सेजबहार, डूंडा, बोरिया कला समेत कई क्षेत्रों से बड़े रकबे में लोगों ने निर्माण करा लिया है। आवासीय भवन बनाने बड़ी इमारतें खड़ी की हैं।
नए आदेश के बाद बी-01 में रिपोर्ट दर्ज
जिला प्रशासन ने अपनी प्रारंभिक कार्रवाई में ही कोटवारी जमीन के लिए पटवारी हल्का नंबर के बी-1 खसरे में भूमि अहस्तांतरित दर्ज करना शुरू कर दिया है। इसके बाद अब इन भवनों का पंजीयन किसी और दूसरे के नाम से नहीं हो सकता। कोटवारों से जमीन खरीदी करने वालों के लिए यह बड़ी मुसीबत होने वाली है। कोटवारों से लिए प्रापर्टी को अब वह नहीं बेच सकते।
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