छत्तीसगढ़ का सपूत हुआ शहीद : लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडेय इंफाल में लैंडस्लाइड की चपेट में आए, तीन दिन से थे लापता, फिर आई शहादत की खबर...

भिलाई। भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडेय शहीद हो गए। नेहरू नगर निवासी कपिल देव पांडेय इंफाल में लैंडस्लाइड की चपेट में आने के बाद से तीन दिन से लापता थे। लगातार बारिश सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न हो रही थी। अब खबर आ रही है कि लैंडस्लाइड की चपेट में आने से वो शहीद हो गए है। इसकी पुष्टि जिला प्रशासन और उनके परिवार ने की है। लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडेय का निवास भिलाई के नेहरू नगर में है। उनकी बहन भावना पांडेय सेंट्रल क्रॉनिकल अखबार भिलाई की ब्यूरो चीफ हैं।
मिली जानकारी के अनुसार घटना बुधवार रात करीब साढ़े 12.30 बजे की है। मणिपुर के इंफाल में निर्माणाधीन जिरिबम रेलवे लाइन और रेलवे स्टेशन की है। उस समय लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडेय वीडियो काल पर अपनी मां कुसुम और बहन भावना पांडेय से बात कर रहे थे। कपिल तीन साल से भिलाई नहीं आए हैं। लिहाजा मां ने जिज्ञासावश बेटे से पूछा कि वह भिलाई कब आ रहा है? उसी समय कपिल को गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दी। जिसके बाद उन्होंने मां से कहा कि लगता है कैंप स्थल के पीछे कुछ हो रहा है, जाना पड़ेगा। यह कहते हुए काल डिसकनेक्ट कर दिया। उसके बाद से लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव का मोबाइल बंद था।
जून महीने में ही मेजर से लेफ्टिनेंट कर्नल बने कपिल देव
लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव अंतिम बार अक्टूबर 2019 में भिलाई आए थे। उस समय उनकी माता की तबियत ठीक नहीं थी। उसके बाद से वे भिलाई नहीं आए हैं। लंबा समय होने की वजह से परिवार के सदस्यों के साथ दोस्त भी उसका भिलाई आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जून में उनका मेजर पद से लेफ्टिनेंट पद पर प्रमोशन हुआ है और अब ट्रांसफर का समय भी आ चुका था।
घटनास्थल मणिपुर का सबसे संवेदनशील एरिया
मणिपुर के नोने जिला अंतर्गत जिरिबम रेलवे लाइन और स्टेशन का निर्माण कार्य चल रहा है। बोडो उग्रवादियों की वजह से यह प्रदेश का सबसे रिमोट और संवेदनशील एरिया में है। इसलिए निर्माण कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी की कंपनी 107 को तैनात किया गया था। लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव टीम के कमांडर हैं और बीते तीन वर्षों से वहां पदस्थ थे।
नदी का तट धसकने के बाद हुई लैंडस्लाइड, इसके बाद से थे लापता
सेना का कैंप नदीं से थोड़ी दूर स्थित है और चारों ओर पहाड़ हैं। बताया गया कि पहले नदी का तट धसका और उसके बाद पहाड़ी भी धसकने लगी। देखते ही देखते नदी पहाड़ के मलबे से ढक गई। करीब ढाई किलोमीटर के दायरे में चारों तरफ मलबा फैला हुआ है। साथ ही घटना के बाद से लगातार बारिश भी सेना के बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न कर रही थी।
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