रेत माफियाओं का बोल-बाला : भगवान राम-माता सीता ने जिस नदी को पार कर छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया, वहां धड़ल्ले से रेत की तस्करी कर रहे माफिया

रविकांत सिंहराजपूत/मनेन्द्रगढ़। भगवान राम और माता सीता ने जिस नदी को पार कर छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था वह मवई नदी अब अवैध रेत उत्खनन का कारोबार करने वालों के कारण छलनी होती जा रही है। वनवास के दौरान भगवान राम मवई नदी को पार कर ही सीतामढ़ी हरचौका पहुंचे थे। लम्बा वक्त भगवान श्रीराम और माता सीता ने यहां बिताया था। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा में मवई नदी से रेत कारोबारी की ओर से नदी का सीना छलनी कर अवैध रूप से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से यहां दिन दहाड़े एनजीटी के नियमों का उल्लंघन कर अवैध रेत का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। पोकलेन मशीने लगाकर यहां से अवैध तरीके से रेत निकाला जा रहा है और ट्रक और ट्रैक्टर के माध्यम से यह रेत महंगे दर पर उत्तरप्रदेश में बेचा जा रहा है। देखिए वीडियो-
विरोध बेअसर
भगवान राम ने इस नदी को पारकर छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था, जिसकी वजह से इस नदी के प्रति आस्था यहां के ग्रामीणों में है। नदी में अवैध रेत उत्खनन का विरोध कई दफा यहां के ग्रामीण कर चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है। ग्रामीण कई बार नदी में धरना दे चुके हैं, लेकिन विरोध करने वालों को रेत माफिया के गुर्गे डराते धमकाते हैं। यहां तक कि जान से मारने की धमकी तक देते हैं, जिससे यहां के ग्रामीण भयभीत रहते हैं। देखिए वीडियो-
संरक्षित क्षेत्र असंरक्षित
भगवान राम वनवास के दौरान यहां आए थे, इसलिए हरचौका को संरक्षित क्षेत्र बताया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार राम वनगमन पथ के माध्यम से इस क्षेत्र को विकसित और संरक्षित करना चाहती है, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण अब यह क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र से असंरक्षित क्षेत्र में तब्दील हो रहा है। देखिए वीडियो-
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