संयंत्र खरीद-बिक्री में स्टांप शुल्क में गड़बड़ी, रेमंड सीमेंट पर 196 करोड़ का दंड

रायपुर. रेमंड सीमेट लिमिटेड डिवीजन गोपालपुर द्वारा सीमेंट संयंत्र के सौदे में स्टांप शुल्क के अपवंचन के एक 20 साल पुराने मामले में छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल बिलासपुर के अध्यक्ष सीके खेतान ने महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है। आदेश के मुताबिक कंपनी पर 196 करोड़ 20 लाख 47 हजार रुपए की शास्ति (पेनाल्टी) लगाई गई है। आदेश में ये भी कहा गया है कि कंपनी को यह राशि 90 दिनों के भीतर संबंधित जिला कोषालय में जमा करानी होगी। यह पूरा मामला स्टांप शुल्क के अपवंचन से संबंधित है।
पंजीयक पर कड़ी टिप्पणी भी
राजस्व मंडल के अध्यक्ष श्री खेतान ने अपने फैसले में पंजीयक को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। आदेश में लिखा गया है कि इस प्रकरण में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी तथा जिला पंजीयक द्वारा अपने पद का उपयोग शासन के विरुद्ध करते हुए विधि की प्रचलित शर्तों को पूरा न करने वाले दस्तावेज का पंजीयन किया गया है। इससे यह स्पष्ट है कि प्रतिफल मूल्य को छुपाकर, हस्तांतरण विलेख, दस्तावेजों, तथ्यों का स्टांप विधि एवं रजिस्ट्रेशन विधि के अनुसार उपवर्णन नहीं करना, हस्तांतरण विलेख पर देय वास्तविक स्टांप शुल्क से बचने के लिए किया गया है। वास्तविक प्रतिफल बहुत ज्यादा था।
ये है मामला
जांजगीर-चांपा स्थित रेमंड सीमेंट फैक्ट्री का विक्रय वर्ष 2000 में लाफार्ज सीमेंट कंपनी को किया गया था। इस मामले से संबंधित एक शिकायत महानिरीक्षक पंजीयन को 31 दिसंबर 2000 को मिली थी। इस शिकायत में कहा गया था कि समस्त चल एवं अचल संपत्ति का मूल्य 785 करोड़ रुपए है, लेकिन रेमंड सीमेंट द्वारा मात्र 28 करोड़ में विक्रयनामा लिखवाकर पंजीयन की संभावना व्यक्त की गई थी। यह शिकायत मिलने के बाद महानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यालय रायपुर से उपमहानिरीक्षक पंजीयन ने पत्र लिखकर निर्देश दिया था कि कलेक्टर जांजगीर-चांपा से व्यक्तिगत संपर्क कर संपूर्ण विषय पर संपूर्ण तथ्यों की जांच कर रिपोर्ट दें।
शासन भी दे सकता है फैसले को चुनौती
इस मामले में कंपनी पर पांच गुना शास्ति लगाने वाले राजस्व मंडल ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि यदि शासन इस निर्णय से सहमत नहीं है और रुपए 751 करोड़ पर ही देय स्टांप शुल्क की मांग करता है तो उसे तथ्यों के साथ सक्षम न्यायालय में चुनौती देने की स्वतंत्रता है। इस मामले में कलेक्टर ऑफ स्टांप जिला जांजगीर चांपा द्वारा पारित आदेश 16 जनवरी 2001 को विधि विपरीत होने के कारण निरस्त किया गया है। इसी आदेश के तहत कम स्टांप शुल्क लिया गया था। आदेश में ये भी कहा गया है कि इस मामले के आदेश की प्रति राज्य में कलेक्टर ऑफ स्टांप की शक्ति रखने वाले समस्त अधिकारियों को भी भेजी जाए।
राजस्व मंडल ने दिया ये फैसला
छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल बिलासपुर के अध्यक्ष सीके खेतान ने इस पूरे मामले की सुनवाई लंबे समय तक करने के बाद अपना फैसला देते हुए कहा कि यह तथ्य सामने आया है कि कंपनी की कुल संपत्ति एवं परिसंपत्तियों का मूल्य 751 करोड़ रुपए के स्थान पर उसकी आधी राशि 375.50 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है। कंपनी द्वारा पंजीयन के समय स्टांप शुल्क के रूप में 3 करोड़ 74 लाख 90 हजार 300 रुपए चुकाए गए हैं। जबकि उस समय प्रचलित स्टांप शुल्क 8.875 प्रतिशत की दर से कुल स्टांप शुल्क 33 करोड़ 32 लाख 56 हजार 250 रुपए होता है, जिससे कंपनी द्वारा दिए गए स्टांप शुल्क 3 करोड़ 74 लाख 90 हजार 300 रुपए को कम करने पर 29 करोड़ 57 लाख 65 हजार 950 रुपए राशि शेष बचती है। राजस्व मंडल द्वारा भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 40 (ख) में दिए गए प्रावधान के अनुसार पांच गुना शास्ति (पेनाल्टी) अधिरोपित की गई है, जो 166 करोड़ होती है। दोनों राशियों को जोड़ने पर कुल देय राशि 196 करोड़ 20 लाख 47 हजार दो सौ रुपए मात्र होती है। कंपनी को यह राशि 90 दिनों के भीतर संबंधित जिला कोषालय में जमा करानी होगी।
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