परसा कोल ब्लाक पर राज्य सरकार का बड़ा कदम : वन महानिरीक्षक भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखा पत्र, कहा-निरस्त करें स्वीकृति

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित परसा कोयला खनन परियोजना के लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का ग्रामीणों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने अधिकारियों को कार्रवाई रोकने की कोशिश भी की। इसके चलते वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने हसदेव अरण्य कोल फील्ड में वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने वन महानिरीक्षक भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखा है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के अवर सचिव केपी राजपूत ने पत्र में कहा है कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है, जन विरोध, कानून व्यवस्था एवं व्यापक लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए परसा खुली खदान परियोजना (रकबा 841.548 हे.) में वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने के संबंध में उचित कार्यवाही की जाए। विदित हो कि यह क्षेत्र उत्तरी भाग में सरगुजा और सूरजपुर जिलों में फैला है।
खदान का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को
राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की है। इसके बाद हसदेव अरण्य क्षेत्र के 841 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनों की कटाई शुरू हो गई है। जैव विविधता के लिहाज से महत्वपूर्ण क्षेत्र है इसलिए पर्यावरण विद इस परियोजना का लगातार विरोध कर रहे हैं। परसा कोयला खदान परियोजना के लिए इस क्षेत्र में लगभग 1,590 पेड़ काटे जाने हैं।
अब तक सैकड़ों पेड़ काटे गए
विदित हो कि परसा कोयला खदान परियोजना के लिए रामानुजनगर वन क्षेत्र के जनार्दनपुर गांव में 300 से अधिक पेड़ काटे गए। एक स्थानीय वन अधिकारी ने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों की आपत्ति के बाद काम रोक दिया गया हैं, हालांकि स्थिति को देखते हुए आगे कार्रवाई की जाएगी। वनों की कटाई के दौरान 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया था।

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