राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस पर स्टे : आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर का है मामला, अगली सुनवाई 24 फरवरी को

राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस पर स्टे : आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर का है मामला, अगली सुनवाई 24 फरवरी को
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छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर राजभवन को नोटिस जारी होने के बाद राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस देने को चुनौती दी गई है। पढ़िए पूरी खबर...

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस वापस ले लिया है। राजभवन सचिवालय की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद हाईकोर्ट ने राज्यपाल को भेजे नोटिस पर रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 361 का हवाला देकर नोटिस पर रोक लगाई है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को नोटिस जारी करने का अधिकार हाईकोर्ट के पा नहीं है। यह मसला हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के तर्क को कोर्ट ने मानते हुए नोअिस पर रोक लगाई है। आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर राज्य शासन की याचिका पर जारी हुआ था राजभवन सचिवालय को नोटिस। उसी जारी नोटिस को राज्यपाल सचिवालय ने HC में दी थी चुनौती।

नोटिस की संवैधानिकता को राजभवन ने दी है चुनौती

छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर राजभवन को नोटिस जारी होने के बाद राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस देने को चुनौती दी गई है। राज्यपाल सचिवालय की तरफ से पूर्व असिस्टेंट सालिसिटर जनरल और सीबीआई व एनआईए के विशेष लोक अभियोजक बी गोपा कुमार ने तर्क देते हुए बताया कि संविधान की अनुच्छेद 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल को अपने कार्यालय की शक्तियों और काम को लेकर विशेषाधिकार है, जिसके लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी भी न्यायालय में जवाबदेह नहीं है। इसके मुताबिक हाईकोर्ट को राजभवन को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है।

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