कथा वाचिका देवी चित्रलेखा पहुंचीं लोरमी : बोलीं- वृद्धाश्रमों का बढ़ना चिंता की बात, ज्यादा से ज्यादा लोग आध्यात्म से जुड़ें

कथा वाचिका देवी चित्रलेखा पहुंचीं लोरमी : बोलीं- वृद्धाश्रमों का बढ़ना चिंता की बात, ज्यादा से ज्यादा लोग आध्यात्म से जुड़ें
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भारत में बढ़ रहे वृद्धाश्रम के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, वृद्धाश्रम की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है जो कि चिंतनीय है। इसलिए लोगों को अधिक से अधिक संख्या में आध्यात्म में जुड़ना चाहिए। पढ़िए पूरी खबर...

राहुल यादव-लोरमी। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले (Mungeli district)के लोरमी नगर (Lormi Nagar )में भागवत कथा (Bhagwat Katha)का आयोजन किया गया है। यह आयोजन जिंदल परिवार के द्वारा किया गया है। कथा वाचिका देवी चित्रलेखा ने प्रेस से चर्चा की। उन्होंने बताया कि, 6 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा ( Shrimad Bhagwat Katha)शुरु की। घर का अच्छा पारिवारिक माहौल मिला है। भारत वर्ष और देश विदेशों सहित 350 श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करा चुकी हैं। उन्होंने कहा, यह मेरा प्रोफेशन नहीं है, कैरियर नहीं है। बचपन से कथा की शुरुआत हुई जो अब तक जारी है।

देवी चित्रलेखा ने बताया कि, छत्तीसगढ़ में खरसिया, रायपुर में उनकी भागवत कथा हो चुकी है। महिला आरक्षण के सवाल पर उन्होने कहा कि, महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए। शासन की तमाम योजनाओं का लाभ उन्हें उठाना चाहिए। भारत में बढ़ रहे वृद्धाश्रम के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, वृद्धाश्रम की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है जो कि चिंतनीय है। इसलिए लोगों को अधिक से अधिक संख्या में आध्यात्म में जुड़ना चाहिए।

जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता : देवी चित्रलेखा

श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस देवी चित्रलेखा ने अपनी मधुर वाणी से श्रवण कराते हुए कहा कि, जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। और माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे - जैसे कर्म करता जाता है वैसे -वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं। मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार किसी को भोगना पड़ता है। तामिस्, अंध्र तामृस्, शैरव, माहरोख, काल असि पत्रवन इत्यादि 28 प्रकार के नरक है, इसलिए भगवान् नाम के प्रति सच्ची आस्था रखनी चाहिए।


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