पढ़ाई के लिए सड़क से संघर्ष : तीन किमी. कीचड़ भरे रास्ते पर गिरते-पड़ते स्कूल पहुंचना इनकी मजबूरी

पढ़ाई के लिए सड़क से संघर्ष : तीन किमी. कीचड़ भरे रास्ते पर गिरते-पड़ते स्कूल पहुंचना इनकी मजबूरी
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3 किलोमीटर का यह रास्ता कीचड़ और गड्ढों से भरा हुआ है। जिसके चलते छात्राएं रोजाना साइकिल से गिरते रहते हैं और स्कूल जाने में काफी समस्या आती है। पढ़िए पूरी खबर...

कुश अग्रवाल-पलारी। छत्तीसगढ़ में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं करोड़ों रुपए की लागत से ग्रामीण सड़कें भी बनाई जाती हैं। लेकिन आज भी ग्रामीण अंचलों में यह हाल है कि, स्कूल तक जाने के लिए पक्का मार्ग नहीं है और बच्चों को कीचड़ से गुजरकर स्कूल जाना पड़ता है।

हमारे देश का भविष्य कीचड़ से होकर स्कूल जाने मजबूर है। ऐसा ही एक मामला बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड के अंतर्गत अंतिम छोर पर महानदी के किनारे बसे वन ग्राम पिपरछेड़ी का है। इस गांव के बच्चों को स्कूल जाने में काफी समस्याएं होती हैं। यहां पढ़ने वाले हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चे 3 किलोमीटर दूर ग्राम अर्जुनी जाते हैं। 3 किलोमीटर का यह रास्ता कीचड़ और गड्ढों से भरा हुआ है। जिसके चलते छात्राएं रोजाना साइकिल से गिरते रहते हैं और स्कूल जाने में काफी समस्या आती है।


सालों से बनी हुई है समस्या

यह समस्या अभी से नहीं है पिछले 10 सालों से यह समस्या है। जिसके चलते छात्र तो परेशान रहते हैं ग्रामीण भी काफी परेशान होते हैं बरसात के समय में इन रास्तों में चलना मुश्किल हो जाता है और नालों में भी पानी चलता है इसके चलते छात्र स्कूल नहीं जा पाते हैं ग्रामीण भी उस रास्ते से उस पार नहीं जा पाते।


कई बार होते हैं हादसों का शिकार

बारिश के 4 महीने यहां इन बच्चों को जीवन और मौत से संघर्ष करना पड़ता है। उसके अलावा ग्रामीण भी इसी कीचड़ से होकर गुजरते हैं। ज्यादा देर बारिश हो गई तो कीचड़ दलदल में तब्दील हो जाता है। जिससे कभी भी यह बच्चे दुर्घटना का शिकार भी हो सकते हैं।वही आपको पता थी कि इसको लेकर छात्रों ने कलेक्टर से शिकायत की है लेकिन संज्ञान दिया गया है और अब देखना होगा कि आखिर काम कब शुरू होगा और इस रास्तों की समस्या कब दूर होगी।

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