निजी स्कूलों में गिनती के छात्र, सरकारी खचाखच, बच्चे इतने खुश कि पैर जमीं पर नहीं

रायपुर. 11 माह से बंद स्कूल और कॉलेज आखिरकार सोमवार से खुल ही गए। प्रदेश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों को खोलने का आदेश शनिवार को ही जारी कर दिया गया था, लेकिन स्कूल और कॉलेजों में मिला-जुला नजारा रहा। कॉलेजों में गिनती के ही छात्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अधिकतर निजी स्कूलों में भी सन्नाटे जैसी ही स्थिति रही। इसके उलट सरकारी स्कूलों में रौनक रही। इसकी एक बड़ी वजह निजी स्कूल द्वारा बस संचालित नहीं किए जाने का फैसला रहा।
संक्रमण को देखते हुए निजी स्कूलों ने स्पष्ट कर दिया था कि छात्र अपने साधन से ही स्कूल पहुंचेगे। स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं का भी विकल्प दिया था। परिवहन के साधन ना होने से छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं का ही विकल्प चुना। इसके उलट शासकीय स्कूलों के छात्र अपने साधन से ही स्कूल पहुंचते हैं। इसलिए स्कूल खुलते ही वे ऑफलाइन कक्षाओं में पढ़ाई करने पहुंचे। विद्यालय पहुंचने वालों में बोर्ड कक्षाओं के छात्र अधिक रहे।
आदेश का असर
उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्पष्ट रूप से कह दिया था कि छात्रों को कैंपस आने की बाध्यता नहीं होगी। महाविद्यालयों को ऑनलाइन कक्षाएं भी पहले की ही तरह लेनी होगी। छात्र अपनी इच्छानुसार ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन कक्षाओं के जरिए पढ़ाई कर सकेंगे। इस आदेश का असर कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति पर दिखा। गिनती के ही छात्र कॉलेज पहुंचे। इनमें भी वे छात्र अधिक थे, जिन्हें परीक्षा फॉर्म, अंकसूची या इस तरह की कोई अन्य कार्यालयीन कार्य थे। उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार ऑनलाइन कक्षाएं भी सोमवार को चलती रही।
शिक्षकों ने किया फूल देकर स्वागत
राजधानी के बड़े निजी स्कूलों के उलट बालोद, गरियाबंद व अन्य छोटे जिलों के निजी स्कूलों में छात्र पहुंचे। हालांकि सरकारी स्कूलों की तुलना में यहां छात्र संख्या कम रही। यहां शिक्षकों ने फूल देकर छात्रों का स्वागत किया। कुछ जगहों में आरती उतारकर तिलक भी लगाया गया। शिक्षक और छात्र दोनों ही इस मौके पर भावुक नजर आए। मुख्य द्वार पर सेनिटाइजर के प्रयोग के बाद ही छात्रों को भीतर प्रवेश दिया गया। कोविड संबंधित अन्य निर्देश भी छात्रों को दिए जाते रहे।
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