सरकारी सुविधाओं की ऐसी दुर्गति : चले नहीं चलित शौचालय और हो गए कंडम

सरकारी सुविधाओं की ऐसी दुर्गति : चले नहीं चलित शौचालय और हो गए कंडम
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7-8 साल पुराने चलित शौचालय जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं, उसी से काम चलाया जा रहा है। किसी का टायर पंचर तो किसी के पार्ट्स गायब, कई में पानी की टंकी ही नहीं बची। देखिए और पढ़िए.. आम जनता की सुविधा के लिए खरीदे गए चलित शौचालयों की कैसी दुर्गति है...

हरिभूमि न्यूज टीम। आम जनता को प्रसाधन सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खरीदे गए चलित शौचालय देख-रेख के अभाव के कारण कंडम हो गए हैं। हालत यह है कि, कुछ का तो उपयोग ही नहीं किया जा सका वहीं, कई स्थानों पर बेपरवाही पूर्वक रखे होने के कारण इनमें लगाए गए टोटी-टंकी और अन्य उपकरण भी टूट-फूट गए हैं। हरिभूमि ने जगदलपुर, नारायणपुर, महासमुंद, बिलासपुर, धमतरी, भिलाई, राजनांदगांव और कवर्धा जिले में शासन द्वारा जन उपयोग के लिए भेजे गए चलित शौचालयों की वर्तमान स्थिति की पड़ताल की, तो जो तथ्य निकलकर सामने आया है, वह बेहद चौकाने वाले हैं।

बस्तर के प्रसिद्ध दशहरा पर्व में पहुंचने वाली भीड़ को ध्यान में रखते नगर निगम ने 7-8 साल पहले तत्कालीन आयुक्त नीलकंठ टेकाम के कार्यकाल में दो चलित शौचालय क्रय किया था। बताया जा रहा है कि उस दौरान एक शौचालय के लिए लगभग 5 लाख खर्च किए गए थे। किन्तु निगम के पास खरीदी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। 7-8 साल पुरानी चलित शौचालय जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है. उसी से काम चलाया जा रहा है। निगम का स्वच्छता विभाग प्रमारी हमत श्रीवास ने बताया कई बार चलित शौचालय के बाथरूम की टोटी गायब हो चुकी है। एक साल दशहरा पर्व में (शौचालय वाहन की साढ़ी तक गायब हो गई थी। चलित शौचालय जर्जर होने की बात स्वीकारते कहा बार- बार मेंटेनेंस करना पड़ता है।

सिर्फ सरकारी कार्यक्रम तक सिमटा उपयोग

राजनांदगांव में स्वच्छता अभियान के तहत कुछ साल पहले लाखों रुपए की लागत से खरीदे गए चलित शौचालय अब कबाड़ में तब्दील हो गए है। हालात यह है कि शौचालयों के दरवाजे जहां चोरी हो गए हैं। वहीं प्लास्टिक के कई जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण अब इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। हालांकि खरीदी के बाद इन चलित शौचालयों का उपयोग सिर्फ सरकारी कार्यक्रमों के दौरान ही किया गया।

सार्वजनिक कार्यक्रमों में हो रहा चलित शौचालय का उपयोग

अंबिकापुर जिले में चलित शौचालयों का उपयोग ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में होने वाले आयोजनों के लिए किया जा रहा है। शासकीय आयोजनों में इन शौचालयों को ऐसे स्थानों पर स्थापित किया जाता है जहां बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते है। नगरीय निकाय क्षेत्र की बात की जाए तो यहां दो सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं और प्रत्येक शौचालयों का उपयोग सार्वजानिक कार्यक्रमों में ही किया जाता + है जबकि शेष समय ये अनुपयोगी पड़े होते है - पेंड्रा में दो तखतपुर में एक तखतपुर / पेंड्रा शासन द्वारा चलित शौचालय जनपद पंचायत और नगरपालिका तखतपुर क्षेत्र एक मिला हुआ है इसका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किसी शासन के कार्यक्रम का आयोजन या सभा होती है तब इस चलित शौचालय को उस स्थान पर ले जाया जाता है या किसी ग्रामीण क्षेत्र में वैवाहिक या अन्य कोई कार्यक्रम आयोजित होता है तो जनपद पंचायत तखतपुर की अनुमति से उस स्थान पर ले जाया जाता है और उपयोग के बाद वापस उसे नगरपालिका परिसर में सुरक्षित रखा जाता है।

लोगों ने सड़क-नाली को शौचालय बना लिया

नगर पालिक निगम मिलाई चरोदा की जनसंख्या 1.25 लाख की आबादी वाले क्षेत्र में 3-3 लाख के दो ही चलित शौचालय है। जिसका उपयोग भी ना के बराबर किया जाता है। चलित शौचालय की कमी के कारण लोग नेशनल हाइवे पर लोग खुले आम शौच करते नजर आते है। 40 वार्ड वाले इस शहर का हर कोना शौचालय बन गया है। कचहरी, सरकारी कार्यालय, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल या फिर बस स्टैंड में लोग ने सड़क या नाली को शौचालय बना लिया है। इसके बाद भी निगम इसे लेकर जागरुकता नहीं दिखा रही है। नेशनल हाईवे के थोड़े अंदर जाते की ओर बनाए गए पार्क की मुख्य दीवार भी लघुशंका करने के कारण खराब हो रही है।

अधिकारियों ने इसके उपयोग पर ध्यान नहीं दिया

धमतरी में चलित बायो शौचालय अधिकारियों की अनदेखी की भेंट चढ़ गए हैं। जिले में 8 शौचालय हैं। आज भी ये शौचालय ठीक-ठाक कंडीशन में है, लेकिन इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते धीरे-धीरे जर्जर होने लगे है। कार्यक्रम सहित अन्य आयोजनों में लोगों को सुविधा देने के लिए वर्ष 2017 में स्वच्छ भारत मिशन राज्य कार्यालय द्वारा जिले में चलित शौचालय सड़कों किनारे नहीं दिखता है। इसके चलते शहर का हर कोना शौचालय बन गया है। कचहरी सरकारी कार्यालय, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल या फिर बस स्टैंड में लोग ने सड़क या जाली को शौचालय बना लिया है। इसके बाद भी निगम इसे लेकर जागरुकता नहीं दिखा रही है। नेशनल हाईवे के थोड़े अंदर जाते की और बनाए गए पार्क की मुख्य दीवार भी लघुशंका करने के कारण खराब हो रही है। बायो शौचालय भेजे गए हैं। उन्नत तकनीक के ये शौचालय दिखने में आकर्षक हैं। पानी सहित अन्य सुविधा भी इसमें दी गई है। जब भी कोई आयोजन होता था। इन शौचालयों को कार्यक्रम स्थल पर खड़ा कर दिया जाता था। जरूरत पड़ने पर लोग इसका उपयोग भी करते थे। पिछले 4 साल से अधिकारियों ने इसके उपयोग पर ध्यान नहीं दिया।

रख रखाव के आभाव में उपयोग लायक नहीं रह गए

कवर्धा में शासन ने आम लोगों की सुविधा के साथ ही स्वच्छा को ध्यान में रखते हुए लाखों रुपए की लागत से चलित शौचालय की योजना बनाई थी और चलित शौचालय का निर्माण कराया गया था। इन चलित शौचालयों का उपयोग आम तौर पर शासन प्रशासन द्वारा आयोजित किए जाने वाले सार्वजनिक तथा सामूहिक कार्यक्रमों के दौरान किया जाता रहा है। जिसकी जिम्मेदारी नगर पंचायतों, पालिकाओं, पंचायतों को दी गई थी, लेकिन बीते कुछ वर्षो से इनका उपयोग ही बंद कर दिया गया है और अब तो ये चलित शौचालय नजर ही नहीं आते। बताया जाता है कि कबीरधाम जिले में चार चलित शौचालय है लेकिन रखरखाव और देखरेख के आनाव में अब ये इतने कम हो चुके है कि उपयोग लायक ही नहीं रह गए हैं। कबीरधाम जिले के चारो विकास खण्डों में एक एक है।

वीआईपी विजिट के दौरान ही भेजे जा रहे

महासमुद्र में स्वच्छता के लिए जिले के विभिन्न जनपदों में ट्रेलर माउंटेड बायो डाईजेस्टर टायलेट तो भेजे गए। लेकिन उपयोग नही होने के कारण और रखरखाव की कमी के चलते इनकी हालत बद से बदतर हो गई है करोड़ों रुपए खर्च कर खरीदे गए इन टॉयलेट्स की हालत यह है कि यह खड़े-खड़े खराब हो रहे हैं और इनके सामान भी चोरी हो रहे है। जनपद परिसर में खड़े यह वाहन सावन माह में सिरपुर अथवा बड़े आयोजना या वीआईपी विजिट के दौरान कार्यक्रम स्थल में भेजे जाते हैं। इसके अलावा इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है।

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