CG News : शंखनी-डंकनी के किनारे टेलिंग्स डंप बना शहरवासियों के लिए सरदर्द, भारी वाहन निषेध क्षेत्र में दिन रात दौड़ रहीं लाल मिट्टी भरी गाड़ियां

पंकज भदौरिया-दंतेवाडा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक बार फिर से प्रशासनिक शय में बैलाडीला की खदानों से निकलने वाले टेलिंग्स (आयरन ओर वेस्ट) को लाकर दंतेश्वरी मंदिर के सामने बहने वाली लोकआस्था की प्रतीक शंखनी-डंकिनी नदी के संगम पर लगातार डंप करने का काम महीने भर से किया जा रहा है। जिसके लिए शहर के अंदर दिन रात भारी वाहन नो इंट्री जोन को पारकर किरन्दुल के प्लांट से 12चक्का हाईवा गाडियों से नदी के मुहाने में डाल रहे है।
खदान से निकलने वाला वेस्ट मटेरियल को परिवहन ठेकेदार द्वारा दंतेवाडा शहर के अंदर नदी किनारे डाला जा रहा है। साल भर पहले भी यहां पर टेलिंग्स डंप किया जा रहा था। लेकिन पर्यावरण विद नितिन सिंघवी ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी और मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद प्रशासन ने इसपर रोक लगा दी थी। अब साल भर बाद पुनः यहां टेलिंग्स डंप का कार्य शुरू किया गया है। और एक बार फिर नितिन सिंघवी ने इसे लेकर शासन से आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने शासन को पत्र लिखकर इसपर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। श्री सिंघवी के पत्र के बाद जैव विविधता बोर्ड छत्तीसगढ़ ने डीएफओ दंतेवाड़ा से जवाब तलब किया है।
ग्रामीण इलाकों में जगह नही मिली तो शहरों में शुरू हुआ डंप का खेल
पहले बैलाडीला के आसपास के गावो में टेलिंग्स फेंका जा रहा था। इस लाल जहर से ग्रामीणों की फसलो का और इसके दलदल में फसकर बेजुबान जानवरों की मौत हो रही थी। जिसके बाद ग्रामीणों ने इस लाल मिट्टी का जमकर विरोध किया। यह विरोध कुन्देली गाव में बड़े आंदोलन का रूप ले लिया था। मजबूरन कंपनी को काम बंद कर शहरी इलाके दंतेवाडा की तरफ लाल मिट्टी डालने लगे। कुम्हाररास में भी टेलिंग्स डंप का जबरदस्त विरोध हुआ था और ठेकेदार के स्टाफ को जान बचाकर भागना पड़ा था। ग्रामीणों की माने तो जहां टेलिंग्स डंप किया जाता है वहां की मिट्टी की ऊर्वरकता खत्म होने लगती है। ग्रामीणों के विरोध का मुख्य कारण यही है। कारली 9th बटालियन में भी ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था। लेकिन प्रशासन के दबाव के चलते यहां भी बड़े पैमाने पर इस लाल जहर को डंप किया गया था।
जैव विविधता बोर्ड ने डीएफओ से मांगी जानकारी
छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड ने पिछले महीने डीएफओ दंतेवाड़ा से इस संबंध में पत्र के माध्यम से जानकारी मांगी है। पर्यावरण विद नितिन सिंघवी की आपत्ति पर बोर्ड ने डीएफओ दंतेवाड़ा को 23 नवंबर को पत्र लिखकर दस दिनों के भीतर वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा है। हालांकि 15 दिनों बाद भी वन विभाग दंतेवाड़ा ने कोई जानकारी शासन को नहीं भेजी है। डीएफओ ने कहा कि, एसडीओ नायडू इस मामले को देख रहे हैं कुछ दिनों में पत्र का जवाब भेज दिया जायेगा।
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