Teacher's Day : एक शिक्षक जिन्होंने बदल दी वनांचल स्कूल की तस्वीर

Teachers Day : एक शिक्षक जिन्होंने बदल दी वनांचल स्कूल की तस्वीर
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ऐसे ही शिक्षक हैं शिवचरण साहू सामुदायिक सहयोग से अपने विद्यालय (School)के लिए 3 लाख रुपए से भी अधिक की राशि का भौतिक संसाधन जुटाया। एक अभिनव पहल करते हुए विद्यालय को नए स्वरूप में रंगरोगन,प्रोजेक्टर म्यूजिक सिस्टम, पुस्तकालय, बागवानी किचन गार्डन, हेडवास प्लेटफार्म, विज्ञान, गणित, कार्नर निर्माण कर लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत बने हैं। पढ़िए पूरी खबर...

कोंडागांव। जिले के वनांचाल क्षेत्र मडानार में पदस्थ शिक्षक शिवचरण साहू (teacher Shivcharan Sahu) किसी परिचय मोहताज नहीं हैं। जो अपनी काबिलियत पर विश्वास रखते हैं, वो ही अक्सर मंजिल पर पहुंचते हैं। ऐसे ही शिक्षक हैं शिवचरण साहू सामुदायिक सहयोग से अपने विद्यालय (School)के लिए 3 लाख रुपए से भी अधिक की राशि का भौतिक संसाधन जुटाया। एक अभिनव पहल करते हुए विद्यालय को नए स्वरूप में रंगरोगन,प्रोजेक्टर म्यूजिक सिस्टम, पुस्तकालय, बागवानी किचन गार्डन, हेडवास प्लेटफार्म, विज्ञान, गणित, कार्नर निर्माण कर लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत बने हैं।

विद्यालय शिक्षक शिवचरण साहू बालिका शिक्षा को बढ़ावा देते हुए अवकाश के दिनों में स्वयं 300 से अधिक बच्चोंको आत्मरक्षा और खेल सिलंबम, गतका, मार्शल आर्ट और योग का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर चुके हैं। इससे अब तक 300 बच्चे राज्य और 12 राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे हैं। अपने विद्यालय के साथ साथ जिले में अबतक 10 अन्य विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाने में विशेष योगदान रहा है।

मडानार विद्यालय हुआ सम्मानित

शिक्षक साहू की शालेय गतिविधि की क्रियान्वयन से तीन बार जिला और एक बार बस्तर डाइट से विद्यालय को उत्कृष्ट विद्यालय सम्मान मिला है। साथ ही शिक्षक शिवचरण साहू को मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव ज्ञानदीप पुरस्कार, अक्षय शिक्षा दीप अलकरण, शिक्षामित्र, रक्तवीर, शिल्पगुरु, योगगुरु तुलसी अलंकरण, छत्तीसगढ़ गौरव अवार्ड, राज्यपाल अनुसुईया उइके, गृहमंत्री ताम्रजध्वज साहू, पूर्व शिक्षा मंत्री केदारनाथ कश्यप, पूर्व खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी, वर्तमान शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम, तत्कालीन टाइबल मंत्री मोहन मरकाम, विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी द्वारा उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किए गए हैं।

मरणोपरांत देहदान की घोषणा

केवल ज्ञान पर्याप्त नहीं होता, विवेक व्यवहारिक अनुभव से आता है। सामाजिक उत्थान में चिकित्सा सेवा की शिक्षा लेने वाले बच्चों के अध्ययन के लिए मरणोपरांत अपने देहदान की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने अब तक 45 जरूरतमंद मरीजों को निःशुल्क रक्तदान किया है।

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