रोजगार की मांग कर रहे ग्रामीणों का गुस्सा फूटा : घंटों बंद कराया मिट्टी और कोल डिस्पैच का काम, भूविस्थापितों को जेल में डालने पर भी बवाल

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कुसमुंडा खदान में रोजगार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे भूविस्थापितों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा है। पहले किए गए आंदोलन के बाद 4 भूविस्थापितों को जेल भेजे जाने के विरोध में सोमवार को ग्रामीणों ने फिर खदान में काम कर रही नियोजित कंपनी नीलकंठ का काम रुकवा दिया है। जैसे ही कुसमुंडा पुलिस को ग्राम पाली, पडनिया, जटराज और सोनपुरी के ग्रामीणों की ओर से खदान में काम रुकवाने की सूचना मिली मौके पर पहुंची। कुछ देर बाद एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर भी एसईसीएल अधिकारियों के साथ वहां पहुंचे और ग्रामीणों को समझाइश देने का प्रयास किया।
घंटों बंद रहा मिट्टी और कोल डिस्पैच का काम
आंदोलनकारी अपने लोगों को जेल से छूटने के बाद ही मौके से हटने पर अड़े हुए थे। इसी बीच दर्री नगर पुलिस अधीक्षक लितेश सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को सड़क से उठने को कहा, नहीं हटने पर कार्रवाई की चेतावनी दी। काफी समझाइश के बाद ग्रामीण सड़क से उठकर एक किनारे खड़े हुए। घण्टों मशक्कत के बाद खदान से गाड़ियों का परिचालन शुरू हुआ। लगभग 3.30 घंटे बाद मिट्टी और कोल डिस्पैच का काम शुरू हुआ।
बड़े आंदोलन की चेतावनी
आंदोलन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल का रवैया अड़ियल और दमन करने वाला है। खदान विस्तार में हमारी जमीन जा रही है। इसके एवज में हमारे लोगों को रोजगार देने के बजाय उन्हें जेल में डाला जा रहा है। आज हम आंदोलन से उठ गए है, लेकिन एसईसीएल का ऐसा ही रवैया रहा तो आने वाले समय में वृहद आंदोलन होगा। अनिश्चितकाल तक खदान में काम बंद किया जाएगा।

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