केंद्र की बेरुखी ने बढ़ाई छत्तीसगढ़ की मुश्किलें, 1868 में खरीदी के बाद भी नहीं भेजा बारदाना

रायपुर. छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के दौरान केंद्र सरकार की बेरूखी से राज्य सरकार की मुश्किलें बढ गई हैं। केंद्र द्वारा सेंट्रल पूल में केवल 24 लाख मीटरिक टन चावल लेने की सहमति दी है। जबकि राज्य सरकार इसे 40 लाख मीटरिक करने की मांग लगातार कर रही है। राज्य सरकार ने अपने वादे के मुताबिक किसानों से 92 लाख मीटरिक टन की खरीदी कर ली। बोनस पर भी आपत्ति न हो इसके लिए राज्य सरकार ने धान की खरीदी समर्थन मूल्य 1868 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की। लेकिन खरीदी के दौरान कोरोना संकट के चलते केंद्र ने आवश्यक बारदाने की सप्लाई तक नहीं की। धान खरीदी शुरू होने के पहले केंद्र ने सेंट्रल पूल के चावल में कटौती कर दी। ऐसे में शेष धान को खराब होने से बचाने राज्य सरकार ने अतिरिक्त धान का नीलामी करने का निर्णय लिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा इस साल किसानों से 92 लाख मीटरिक टन धान ख़रीदी की गई है। राज्य सरकार ने धान की खरीदी समर्थन मूल्य (सामान्य ग्रेड) के लिए 1868 और ए-ग्रेड के लिए 1888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। उसके अनुसार ही किसानों को भुगतान किया जा रहा है। खरीदे गए धान से 24 लाख मीट्रिक टन चावल नागरिक आपूर्ति को दिया जाएगा और एफसीआई 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीद रही है। इस तरह से 48 लाख मीटरिक टन चावल लगभग 72 लाख मीटरिक टन धान से निकाला जाएगा। बचे लगभग 20 लाख मीटरिक टन धान को लेकर राज्य सरकार की परेशानी बढ़ गई है। उसकी वजह से शेष धान को लॉट के हिसाब से नीलाम करने का निर्णय लिया गया है। पहले लॉट में 56 हजार मीटरिक धान नीलाम किया जाएगा। इसकी कीमत 1400 से 1500 के बीच रहेगी
किसानों से निभाया वादा
राज्य सरकार ने लगातार आर्थिक दिक्कतों के बावजूद किसानों से किया वादा निभाया है। किसानों को घोषणा पत्र के आधार पर ही धान की कीमत दी जा रही है। समर्थन मूल्य के अलावा केंद्र की आपत्ति के कारण बोनस न देकर राजीव किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ दस हजार रुपए दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐलान किया है कि कितनी भी परेशानी क्यों न हो, वे किसानों को उनका हक देते रहेंगे।
चौबे बोले-केंद्र की वजह से राज्य को तगड़ा घाटा
केंद्र के समर्थन मूल्य में खरीदी के अनुसार देखा जाए तो प्रदेश सरकार को 1868 रुपए समर्थन मूल्य के मुकाबले नीलामी में 14008 से 1500 रुपए में धान को बिक्री करने की स्वीकृति देने पर प्रति क्विंटल पौने पांच रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी बता रही है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि केंद्र से पूर्व में दी गई 40 लाख मीटरिक टन चावल सेंट्रल कोटे के लिए लेने की सहमति दी थी। राज्य सरकार ने इसके आधार पर ही धान खरीदी की थी। केंद्र के इससे पीछे हट गई। धान खराब न हो इसके कारण नीलामी की जा रही है।
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