तकनीकी पेंच में फंसा इन ग्रामीणों का भविष्य : पीढ़ियाें से जिस जमीन पर कर रहे खेती उसका भी नहीं मिला अधिकार पत्र

फ़िरोज़ खान/भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित भानुप्रतापपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले लगभग 16 गांव के कई ग्रामीण ऐसे हैं, जो अब तक वन भूमि अधिकार पत्र से वंचित हैं। इनके गांव में भूमि का मद पहाड़ चट्टान है और राजस्व नियमों के तहत जिसका वन भूमि अधिकार पत्र देना संभव नहीं है। इस वजह से इन गांवों के लोगों को बरसों बरस इन जमीनों पर काबिज होने के बाद भी वन भूमि अधिकार पत्र नहीं मिल पा रहा है।
वहीं संस्था आदिवासी समता मंच की पुष्पा सोरेन की अगुवाई में लगभग 30-40 ग्रामीणों का समूह इसी बात को लेकर भानुप्रतापपुर के तहसीलदार सुरेंद्र उर्वशा से मिला और अपनी समस्या बताई। ग्रामीणों ने बताया कि दिसंबर 2021 में समता मंच की पुष्पा सोरेन, इंदु नेताम और राजेश रंजन के नेतृत्व में ग्रामीणों का एक दल रायपुर जाकर राज्यपाल से राजभवन में मिला और अपनी बात रखी थी, तथा आवेदन भी दिया था। इस बात पर राज्यपाल ने जांच कर मामले का अतिशीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया था।
लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। राज्यपाल के आश्वासन के बाद 16 गांव के किसानों को भानुप्रतापपुर तहसील कार्यालय की ओर से नोटिस भी दिया गया था तथा पहाड़ चट्टान मद का कास्त मद में परिवर्तन के लिए जांच करने की बात कही गई थी। लेकिन इसके बाद आगे कोई कार्यवाही नहीं की गई है। ग्रामीण किसानों ने कहा कि हम पीढ़ी दर पीढ़ी इन जमीनों पर काबिज हैं और 70-75 वर्षों से अधिक समय से इन जमीनों पर कास्त कार्य कर अपना परिवार चला रहे हैं। इसके बावजूद हमें पहाड़ चट्टान मद होने के कारण वन भूमि अधिकार पत्र नहीं मिल पा रहा है। तहसीलदार ने मामले को सुनकर जल्दी गांव में उपस्थित होकर जांच करने की बात कही है। तहसील आए ग्रामीणों में तीन गांवों चिचगांव, मरदेल और टेकाढोडा के ग्रामीण शामिल थे।
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