सिर्फ चेहरा चमकाने के काम आ रहा ट्रैफिक का 'नौलखा' आईना

सिर्फ चेहरा चमकाने के काम आ रहा ट्रैफिक का नौलखा आईना
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शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने और फिर अंधे मोड़ पर हादसे रोकने के लिए वीआईपी जोन में लगाए गए ट्रैफिक मिरर अब चेहरा चमकाने तक ही उपयोगी साबित हुए हैं। वीआईपी जोन में बंगलों के बाहर लगाए गए मिरर से फायदा कुछ हुआ नहीं। अब जरूरत के बाकी स्थानों पर मिरर के इंतजाम की प्लानिंग ढेर कर दी गई है।

रायपुर. शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने और फिर अंधे मोड़ पर हादसे रोकने के लिए वीआईपी जोन में लगाए गए ट्रैफिक मिरर अब चेहरा चमकाने तक ही उपयोगी साबित हुए हैं। वीआईपी जोन में बंगलों के बाहर लगाए गए मिरर से फायदा कुछ हुआ नहीं। अब जरूरत के बाकी स्थानों पर मिरर के इंतजाम की प्लानिंग ढेर कर दी गई है। स्मार्ट सिटी ने बंगलों के बाहर मिरर लगाने में ही आठ से नौ लाख रुपये फूंके हैं। पहले तक दावा किया जा रहा था, इन मिरर के प्रयोग देखे जाने के बाद शहर के डेंजर जोन में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इंतजाम किए जाएंगे, लेकिन बता दें, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने लिमिट वीआईपी जोन में ट्रैफिक मिरर लगाया, लेकिन दूसरे हिस्सों में इसका इंतजाम करने कोई कदम नहीं उठाया। अब हालत यह है, शहर के अंधे मोड़ वाले हिस्सों में स्मार्ट मिरर की प्लानिंग करने कोई कदम नहीं उठाया जा रहा, जहां हादसों का अंदेशा पहले की तरह बरकरार है। ट्रैफिक सुधार के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने के औचित्य पर कई लोग सवाल खड़े करने में लगे हुए हैं।

इन हिस्सों में लगाकर भूल गया सिस्टम

शंकर नगर रोड, सिविल लाइन, पेंशन बाड़ा मार्ग और पुलिस लाइन के करीब वाले हिस्सों में स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने दर्जनभर जगहों पर ट्रैफिक मिरर का सेट लगाया है। अंधे मोड़ वाली सड़कों पर दांए और बांए खंभे लगाकर दर्पण लगाए हैं, ताकि दूर से आने वाले वाहन चालकों को अंदर से निकलने वाली गाड़ियां दिख सकें। मिरर लगाने के बाद इसका क्या फायदा मिल रहा है, इसके बारे में पूछ-परख कहीं नहीं है।

जहां प्रयोग किया वहां हादसे कभी कभार

ट्रैफिक विभाग की रिपोर्ट में डेंजर जोन में अंधे मोड़ के कई ठिकाने मौजूद हैं, लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने जिन स्थानों का चयन किया है, वहां पर हादसों का ग्राफ बहुत नीचे है। ट्रैफिक रिपोर्ट के मुताबिक सिविल लाइन, बैरन बाजार, शंकर नगर वीआईपी जोन ऐसे इलाके हैं, जहां हादसे कभी कभार ही होते हैं। शहर के डेंजर जोन के बाकी हिस्सों में आए दिन हादसों की संभावना बनी रहती है।

तीन माह बाद भी ट्रैफिक से संपर्क नहीं

तीन महीने पहले स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अपने मर्जी से ट्रैफिक मिरर जगह-जगह लगाए हैं। मिरर वीआईपी जोन में मंत्री, अफसरों के बंगले के ठीक बाहर लगाए गए हैं। लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी ट्रैफिक विभाग से इस बारे में न कोई चर्चा की गई और न ही दूसरी जगहों के बारे में रिपोर्ट देने कहा है। मिरर के प्रयोग के वक्त स्मार्ट सिटी की ओर से कहा गया था, आगे ट्रैफिक पुलिस से संपर्क कर दूसरे अंधे मोड़ में सर्वे कराया जाएगा।

ट्रैफिक से नहीं कोई संपर्क

मेट्रो सिटी में ट्रैफिक मिरर का प्रयोग फायदेमंद है। शहर में भी ट्रैफिक मिरर लगाया गया है, लेकिन डेंजर प्वाइंटों पर आगे इसका किस तरह से इस्तेमाल किया जा सके, किसी ने संपर्क नहीं किया है। अगर सर्वे के आधार पर प्रयोग हो, तो जरूर इसका फायदा ट्रैफिक हादसों को रोकने में मिल सकेगा।

- सतीश सिंह ठाकुर, डीएसपी ट्रैफिक

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